दिल्ली के जंतर-मंतर पर आज हिंदू सेना की एक महापंचायत को दिल्ली पुलिस ने बीच में ही रोक दिया, क्योंकि वहां मौजूद वक्ताओं ने कथित तौर पर नफरत भरे भाषण देना शुरू कर दिया था। पुलिस ने कहा कि उन्होंने एक समुदाय के खिलाफ बोलना शुरू किया था जिसके बाद उनके स्पीकर बंद कर दिए गए और उन्हें जंतर-मंतर से जाने के लिए कहा गया। हालांकि अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।
नूंह में हुई झड़प को लेकर अखिल भारतीय सनातन फाउंडेशन और हिंदू सेना की ओर से महापंचायत का आयोजन किया गया था। यहां मौजूद लोगों में हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता, रक्षा दल के पिंकी चौधरी और डासना देवी मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद सरस्वती शामिल थे।
मुसलमानों को खिलाफ नफरती भाषण
महापंचायत के दौरान मेवात में हुई झड़पों के बारे में बात करते हुए डासना देवी मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद सरस्वती ने कहा, ‘अगर हालात नहीं बदले तो एक गैर-हिंदू व्यक्ति प्रधानमंत्री बन जाएगा, आपको जिहाद करना होगा,यदि आप मुसलमानों की तरह व्यवहार नहीं करते हैं, तो आपके पास अपने लिए कोई जमीन नहीं होगी और आपको हिंद महासागर में डूबना होगा…”
जब वह अपना भाषण पूरा कर रहे थे तभी दो अधिकारी उनके पास पहुंचे और रुकने का आग्रह किया। आयोजकों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें तितर-बितर होने के लिए कहा लेकिन बाद में उन्हें रुकने की इजाजत दे दी।
इसके बाद हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता अपना भाषण देने आये। उन्होंने कहा, ”पिछले महीने मेवात में शांतिपूर्ण शोभा यात्रा निकली थी लेकिन जिहादियों के एक समूह ने पथराव और फायरिंग से हमला कर दिया. कई हिंदू भाई मारे गए और अन्य घायल हो गए… इन जिहादियों को सज़ा देने के लिए वहां सीआरपीएफ कैंप क्यों नहीं बनाया गया?”
उन्होंने यह भी कहा, ”हमें यहां पुलिस ने क्यों घेर लिया है? हम पीड़ित हैं और हमें बोलने का मौका मिलना चाहिए। किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए… देश का बंटवारा धर्म को लेकर हुआ था लेकिन मुझे लगता है कि यह अधूरा था, जब तक इस देश में मुसलमान हैं, बंटवारा खत्म नहीं होगा।”
पुलिस ने क्या कहा, क्यों छीना हिन्दू सेना के अध्यक्ष का माइक?
जब हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता बोल रहे थे अतिरिक्त डीसीपी (नई दिल्ली) हेमंत तिवारी उनके पास आए और उनका माइक ले लिया। उन्होंने भीड़ से कहा, “आयोजकों से कहा गया है कि वे किसी अन्य समुदाय/समूह के बारे में कुछ भी न कहें, हमारे बार-बार अनुरोध करने पर भी आपने हमारी बात नहीं सुनी, तो यह महापंचायत अब ख़त्म हो गई है, कृपया आप यहां से जाएं, हमने आपसे कहा था कि दूसरे समुदाय का नाम न लें।”
एक अन्य पुलिस अधिकारी भी आये और बोले, “आपको जो समय दिया गया था वह भी समाप्त हो गया है। कृपया यहां से चले जाइये।”
पुलिस ने शुरुआत में महापंचायत की अनुमति दी थी और 100 लोगों को बैठने और विरोध करने की अनुमति दी थी। हालांकि, उन्होंने कहा कि नफरत भरे भाषणों के बाद उन्हें हस्तक्षेप करना पड़ा।