कई हिंदू संगठनों ने श्री माता वैष्णो देवी मेडिकल कॉलेज को अल्पसंख्यक दर्जा देने की मांग को लेकर आंदोलन तेज करने का संकल्प लिया है। इस संबंध में सोमवार को प्रस्ताव पारित किया गया।

हिंदू संगठन यह मांग भी कर रहे हैं कि हाल ही में जारी की गई प्रवेश सूची को बदला जाए। इस सूची में अधिकतर मुस्लिम नाम हैं।

यह आंदोलन National Eligibility-cum-Entrance Test (NEET) के माध्यम से 2025-26 शैक्षणिक सत्र के लिए स्वीकृत 50 एमबीबीएस सीट के लिए 42 मुस्लिम, एक सिख और सात हिंदू अभ्यर्थियों के चयन के बाद शुरू हुआ है।

इस आंदोलन का नेतृत्व श्री माता वैष्णो देवी संघर्ष समिति (एसएमवीएसएस) द्वारा किया जा रहा है। एसएमवीएसएस में कई संगठन शामिल हैं।

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एसएमवीएसएस के संयोजक कर्नल सुखवीर मनकोटिया ने संवाददाताओं से कहा कि श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के हालिया नीतिगत फैसलों के खिलाफ रणनीति तैयार करने के लिए श्री माता वैष्णो देवी संघर्ष समिति, सनातन धर्म सभा और जम्मू कश्मीर सनातन समाज न्यास का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल की बैठक सोमवार को बुलाई गई।

मंदिर बोर्ड को दिए दान का मांगा हिसाब

मनकोटिया ने कहा कि संकल्प लिया गया कि जब तक मंदिर बोर्ड की नीतियां हिंदू समुदाय की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं के साथ पूरी तरह से मेल नहीं खातीं, तब तक वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे। महंत रामेश्वर दास ने कहा कि यह आंदोलन उनकी आस्था और उनके अस्तित्व के बारे में है। समिति के एक अन्य सदस्य महंत राजेश बिट्टू ने मंदिर बोर्ड को दिए गए दान का हिसाब मांगा और आरोप लगाया कि इसका इस्तेमाल केंद्र शासित प्रदेश में बहुसंख्यक समुदाय मुसलमानों के लाभ के लिए किया जा रहा है।

मनकोटिया ने कहा, ‘‘माता वैष्णोदेवी जी के हिंदू भक्तों के दान से वित्तपोषित यह मेडिकल कॉलेज जम्मू कश्मीर में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के बजाय बहुसंख्यक समुदाय को फायदा पहुंचाता है।’’

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कर्नल मनकोटिया ने आंदोलन का आह्वान करते हुए कहा, “अगर हम राम के पक्ष में नहीं हैं, तो हम किसी काम के नहीं हैं।”

एसएमवीएसएस लगभग 60 हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों का एक समूह है, जो पिछले महीने जारी की गई 2025-26 एमबीबीएस की सलेक्शन सूची को रद्द करने की मांग कर रहा है।

मेडिकल कॉलेज के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन

रियासी जिले के इस मेडिकल कॉलेज के खिलाफ अब तक बीजेपी, विश्व हिंदू परिषद (विहिप), बजरंग दल, शिवसेना और डोगरा फ्रंट द्वारा जम्मू और अन्य जगहों पर दर्जनों विरोध प्रदर्शन किए जा चुके हैं। बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को एक ज्ञापन सौंपा है जिसमें उनसे इस कॉलेज में प्रवेश केवल हिंदू छात्रों तक सीमित रखने और यदि संभव हो तो राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) द्वारा इसकी निगरानी करने का अनुरोध किया गया।

उमर अब्दुल्ला ने दिया था बयान

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पिछले हफ्ते कहा था कि अगर किसी खास समुदाय तक सीमित करने का इरादा था, तो कॉलेज की स्थापना के समय ही इसे अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा, “प्रवेश का मानदंड छात्रों की धार्मिक पहचान के बजाय योग्यता होनी चाहिए।”

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