दिल्ली के मजनू का टीला इलाके में रहे पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों को राहत देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) को निर्देश दिया है कि इनके खिलाफ कोई तोड़फोड़ की कार्रवाई ना की जाए। यह आदेश उस याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया जिसमें 4 मार्च को जारी किए गए DDA के एक नोटिस को चुनौती दी गई थी।
इस नोटिस में लिखा था कि यहां रह रहे लोगों को 6 मार्च तक शिविर को खाली कर देना है। इस नोटिस के खिलाफ दायर याचिका में यहां रह रहे 800 लोगों के लिए रहने की व्यवस्था ना होने तक DDA के आदेश को टालने की मांग की गई थी। मामले की अगली सुनवाई अब 19 मार्च को होगी और तब तक DDA को किसी तरह की कार्रवाई करने से कोर्ट ने मना कर दिया है।
DDA के नोटिस में क्या था?
दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने एक नोटिस चस्पा किया था। जिसमें लिखा था कि दिल्ली के मजनू का टीला इलाके में रहे पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी इस इलाके को खाली कर दें। याचिका में कहा गया कि हिंदू शरणार्थी यहां कई सालों से रह रहे हैं। जस्टिस मिनी पुष्करणा की सिंगल बेंच ने अपने 12 मार्च के आदेश में कहा, “भारत के तत्कालीन अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल की ओर से दिए गए बयान पर विचार करते हुए, जैसा कि डब्ल्यू.पी. (सी) संख्या 3712/2013 में दिनांक 29 मई, 2013 के आदेश में दर्ज किया गया था। भारत संघ पाकिस्तान से भारत में प्रवेश करने वाले हिंदू समुदाय को हरसंभव सहायता देने का प्रयास करेगा, यह निर्देश दिया जाता है कि सुनवाई की अगली तारीख तक याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
वकील ने क्या कहा?
हिंदू शरणार्थियों के वकील आरके बाली ने कहा कि वह (हिंदू शरणार्थी)2011 से वहां रह रहे हैं। सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देश पर उन्हें वहां बसाया। अधिकारियों ने उन्हें सभी सुविधाएं मुहैया करायीं। सार्वजनिक सूचना दी गई थी कि DDA को इन शिविर को ध्वस्त करना है, अतिक्रमण हटाना है। लेकिन अब सीएए का कानून आया है और अब वह इसके मुताबिक नागरिकता ले सकते हैं।