Himachal Pradesh Politics: हिमाचल प्रदेश कांग्रेस शासित सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने हाल ही राज्य के मंदिर ट्रस्टों से अनाथ और अन्य कमजोर बच्चों के लिए दो कल्याणकारी योजनाओं, सुख आश्रय योजना और सुख शिक्षा योजना के लिए, वित्तीय सहयोग देने को कहा था, जिसके चलते एक बार विपक्ष कांग्रेस पर हमलावर है।

भले ही कांग्रेस पार्टी और सरकार ये दावे कर रही हो कि यह केवल अपनी इच्छानुसार करने के लिए कहा गया है, लेकिन फिर विपक्ष में बैठी बीजेपी ने इसको लेकर सुक्खू सरकार पर हमला बोला है। बीजेपी का तर्क है कि मंदिरों से पैसे लेने के जरिए सरकार वित्तीय संकट से निपटने के लिए मंदिरों का खजाना खत्म करने का आरोप लगाया है।

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किन योजनाओं के लिए सहयोग करने की कही बात?

राज्य सरकार की इन योजनाओं की बात करें तो सुख आश्रय और सुख शिक्षा योजनाओं की घोषणा सीएम सुक्खू ने दिसंबर 2022 में पदभार संभालने के तुरंत बाद ही की थी, जिन्हें क्रमशः 28 फरवरी, 2023 और 3 सितंबर, 2024 को अधिसूचित किया गया था। ये योजनाएं हिमाचल प्रदेश में कमज़ोर बच्चों को आश्रय, शिक्षा और कल्याण सहायता प्रदान करने पर केंद्रित हैं।

हिमाचल प्रदेश की सरकार के अनुसार इन योजनाओं के तहत राज्य भर में आश्रय गृहों और अनाथालयों में रहने वाले कम से कम 6,000 बच्चों को राज्य के बच्चों का दर्जा दिया गया है। ये दोनों योजनाएं सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के अधीन हैं। राज्य के 2024-25 के बजट में इन योजनाओं के लिए 272.27 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं लेकिन सरकार ने मंदिर ट्रस्टों से संपर्क कर उनसे इसके लिए योगदान देने का आग्रह किया है।

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क्या है हिमाचल प्रदेश की सरकार का प्रस्ताव?

29 जनवरी को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सचिव राकेश कंवर ने सभी उपायुक्तों को एक पत्र भेजा, जो कि अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत मंदिर ट्रस्टों की देखरेख भी करते हैं। सचिव के पत्र में कहा गया है कि हिमाचल प्रदेश हिंदू सार्वजनिक धार्मिक संस्थान धर्मार्थ सशक्तिकरण अधिनियम, 1984 के तहत काम करने वाले विभिन्न मंदिर ट्रस्ट राज्य सरकार द्वारा संचालित धर्मार्थ गतिविधियों और कल्याणकारी योजनाओं के लिए योगदान देते रहते हैं।

इस पत्र में कहा गया है कि ऐसे धर्मार्थ योगदान करते समय, मंदिर ट्रस्ट उपर्युक्त कल्याणकारी योजनाओं के लिए धन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सुख आश्रय योजना और सुख शिक्षा योजना में योगदान दे सकते हैं।

बीजेपी ने क्या लगाए आरोप?

सरकार के पत्र पर बीजेपी के पत्र का इस्तेमाल सुक्खू सरकार पर हमला करने के लिए किया है तथा मंदिर ट्रस्टों से सरकार के अनुरोध को अपने बजटीय घाटे को पाटने का एक छिपा हुआ प्रयास बताया है। विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि दो साल से सरकार इन योजनाओं के बारे में बात कर रही है और इन्हें सीएम की प्रमुख पहल के रूप में प्रचारित कर रही है।

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बीजेपी नेता जयराम ठाकुर ने कहा कि सड़कों से लेकर चौराहों, पहाड़ियों से लेकर नदी तटों तक राज्य का हर कोना इन योजनाओं के विज्ञापनों से भरा पड़ा है। प्रचार पर करोड़ों खर्च किए गए हैं, लेकिन लाभार्थियों के लिए कुछ भी खास नहीं किया गया है। अगर बजट में धन आवंटित किया गया था, तो सरकार अब मंदिरों से जबरन धन वसूलने का सहारा क्यों ले रही है? इससे साफ पता चलता है कि बजट सत्र के दौरान किए गए वादे सरकार के बाकी दावों की तरह ही खोखले थे। सुक्खू सरकार न केवल आम लोगों को बल्कि अनाथ बच्चों को भी धोखा दे रही है।

‘सरकारी नियंत्रण वाले मंदिरों पर बनाया जा रहा दबाव’

जयराम ठाकुर ने सरकार की घोषणा और क्रियान्वयन के बीच के अंतर को उजागर किया। उन्होंने आरोप लगाया कि सुख शिक्षा योजना के तहत अब तक केवल 1.38 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए हैं, जबकि मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार की दो साल की सालगिरह के अवसर पर इसे बहुत धूमधाम से लॉन्च किया था। सुख आश्रय योजना पर भी बहुत कम खर्च हुआ है, जबकि इसका बहुत प्रचार किया गया था।

दूसरी ओर बीजेपी के प्रवक्ता करण नंदा ने दावा किया कि मंदिर ट्रस्टों से प्राप्त धन का उपयोग कार्यरत और सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन के लिए किया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी नियंत्रण वाले मंदिरों पर इन योजनाओं में योगदान देने के लिए दबाव डाला जा रहा है।

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सीएम के सचिव ने दी मामले में सफाई

BJP के दावों पर पलटवार करते हुए सीएम के सचिव राकेश कंवर ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि सरकार ने मंदिर ट्रस्टों को केवल सुख आश्रय और सुख शिक्षा योजनाओं के माध्यम से अनाथ बच्चों की सहायता करने की सलाह दी है। ये सभी दानदाताओं के लिए खुली धर्मार्थ पहल हैं। हिमाचल में मंदिर ट्रस्ट पहले से ही दान के कामों में लगे हुए हैं, जैसे कि गरीब महिलाओं की शादी के लिए धन जुटाना, विकलांगों की सहायता करना और विधवाओं को रोजगार प्रदान करना।

सीएम के सचिव ने कहा कि अनाथों की सहायता करना इन प्रयासों के अनुरूप है। उन्होंने इस आरोप का भी खंडन किया कि मंदिर ट्रस्टों से मिलने वाली वित्तीय सहायता को सरकारी खर्चों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।

सीएम सुक्खू ने बीजेपी के आरोपों पर क्या कहा?

दूसरी ओर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बीजेपी के आरोपों का जवाब देने से परहेज करते हुए सिर्फ इतना कहा कि अगर हमारे पास अपनी सरकार की योजनाओं के लिए बजटीय प्रावधान हैं, तो हमें दूसरों से पैसा मांगने की जरूरत नहीं है। हिमाचल प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि 2021-22 में हिमाचल प्रदेश को केंद्र सरकार द्वारा दिया जाने वाला राजस्व घाटा अनुदान (आरडीजी) 10,300 करोड़ रुपये था, लेकिन 2025-26 तक इसके घटकर 3,257 करोड़ रुपये रह जाने का अनुमान है।

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