एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि जिन कोरोना पॉजिटिव मरीजों में कॉर्टिसोल हार्मोन का स्तर सामान्य से ज्यादा पाया गया, उनके कोरोना संक्रमण से जान जाने का खतरा ज्यादा है। बता दें कि कोर्टिसोल हार्मोन का तनाव से संबंध है। मतलब जब हम तनाव में होते हैं तो हमारी बॉडी कोर्टिसोल हार्मोन पैदा करती है। जितना ज्यादा तनाव का स्तर होगा, इंसान के शरीर में कोर्टिसोल का स्तर भी उतना ही ज्यादा पाया जाएगा।
हालिया रिसर्च में पता चला है कि Dexamethasone दवाई के इस्तेमाल से कोरोना मरीजों में मौत की दर घटायी जा सकती है। दरअसल यह दवाई इंसान के शरीर में कोर्टिसोल के स्तर को ही कम करने का काम करती है। स्वस्थ लोगों के शरीर में कोर्टिसोल का स्तर 100-200 nm/L होता है, वहीं जब इंसान सो रहा होता है तो उसके शरीर में कोर्टिसोल का स्तर जीरो होता है।
लंदन के इंपीरियल कॉलेज में यह स्टडी हुई है। स्टडी के दौरान 535 लोगों को ऑब्जर्वेशन में रखा गया था। जिनमें से 403 कोरोना पॉजिटिव मरीज थे। कोरोना मरीजों का कोर्टिसोल लेवल ज्यादा पाया गया। वहीं जिन कोरोना मरीजों में कोर्टिसोल का स्तर 744 या उससे कम था, वह औसतन 36 दिनों तक सर्वाइव किए। वहीं जिन मरीजों में कोर्टिसोल लेवल 744 से ज्यादा था उनके सर्वाइवल का औसत करीब 15 दिन रहा।
स्टडी से साफ हो जाता है कि तनाव के बढ़ने से कई बीमारियों का तो खतरा है ही, कोरोना संक्रमण के चलते जान जाने का भी बड़ा खतरा है। ऐसे में लोगों को सलाह दी जाती है कि वह तनाव का स्तर कम रखें। बता दें कि रिसर्चर्स ने द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलोजी में इस स्टडी की जानकारी दी है।