दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को तिहाड़ जेल अधिकारियों से कहा कि देश की जेलों के अंदर हिंसा की घटनाओं के कारण लोग भारत में प्रत्यर्पण किए जाने का विरोध कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि अगर जेल अधिकारी कैदियों की पिटाई करते हैं तो ये संदेश जाता है कि अदालत कैदियों की पिटाई कर रही है। क्योंकि जेल अधिकारी अदालत के प्रतिनिधि हैं।
जज अनूप जयराम भंभानी और जसमीत सिंह की अवकाश पीठ ने तिहाड़ जेल के अंदर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए एक कैदी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, “हमें कारागार विभाग को यह समझाते हुए दुख हो रहा है कि इन कार्रवाइयों के कारण ही लोग हमारे देश में प्रत्यर्पण से बच रहे हैं। वे जाते हैं और कहते हैं, ‘देखो, भारतीय जेलों में यही होता है। लोग मारपीट करते हैं। मुझे वहां मत भेजो।’
जब दिल्ली की ओर से पेश हुए वकील संजय लाओ ने जवाब दिया कि अमेरिकी जेलों में बदतर हो रहा है, तो अदालत ने पूछा, “तो क्या? क्या हम किसी अन्य देश के साथ दौड़ में हैं?” लाओ ने कहा, “क्या हमें अन्य कैदियों की जान नहीं बचानी चाहिए? एकमात्र सवाल यह है कि क्या बल का अधिक प्रयोग किया गया है या नहीं।”
अदालत ने कहा कि यही समस्या है कि जेल प्रशासन यह नहीं मानता कि वह लोगों की पिटाई कर कुछ गलत कर रहा है। अदालत ने आगे कहा कि एक जेल परिसर अदालतों और जजों का बैकरूम है। जज ने कहा, “यदि आप किसी को मेरे चेंबर में ले जाकर पीटेंगे तो क्या मैं उसके पक्ष में खड़ा होऊंगा या नहीं? यह आदमी हमारी हिरासत में है, अदालत की हिरासत में है। आप हमारे एजेंट हैं। यदि आप उसे पीटते हैं, तो इसका मतलब है कि हमने उसे पीटा।”
कोर्ट ने आगे कहा कि वह इस विचार से सहमत नहीं हो सकता कि जेल अधिकारी कैदियों की पिटाई कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा, “आपको अधिक सतर्क रहना होगा। आपको यह देखना होगा कि ये घटनाएं घटित न हों। आप हमें कैसे बता सकते हैं कि आप कैदियों की पिटाई कर रहे हैं और हमें इसमें भागीदार होना चाहिए।’
लाओ ने कहा कि बचाव पक्ष के वकील अपने मुवक्किलों को संत और जेल अधिकारियों को अपराधी के रूप में पेश कर रहे हैं। बता दें कि अवकाश पीठ एक कैदी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें तिहाड़ जेल से स्थानांतरण के लिए जेल के अंदर जेल अधिकारियों के हाथों हिंसा और उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था।
याचिका के जवाब में जेल अधिकारियों ने तर्क दिया है कि कैदी उस जेल में स्थानांतरित होना चाहता है जहां उसके दोस्तों और सहयोगियों को “पीड़ित होने के झूठे बहाने” पर रखा गया है। कैदी फिलहाल तिहाड़ जेल के विशेष सुरक्षा वार्ड में है।
जेल महानिदेशक को 20 मई को कैदी की शिकायत को पांच कार्य दिवसों के भीतर निपटाने का निर्देश देते हुए, अदालत ने उसे तिहाड़ जेल परिसर से दिल्ली की किसी अन्य जेल में स्थानांतरित करने की संभावना पर निर्णय लेने का भी निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 5 जुलाई को होगी।

