मद्रास हाईकोर्ट ने मंगलवार (4 जुलाई) को तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी की पत्नी द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) याचिका पर बंटा हुआ फैसला सुनाया है। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की छापेमारी के बाद तमिलनाडु के बिजली मंत्री वी सेंथिल बालाजी को पिछले महीने गिरफ्तार किया गया था।
इस मामले की सुनवाई अब एक बड़ी पीठ द्वारा की जाएगी, मुख्य न्यायाधीश मामले की सुनवाई के लिए तीसरे न्यायाधीश को नियुक्त करने की तैयारी में हैं। जस्टिस निशा बानू और जस्टिस डी भरत चक्रवर्ती की दो न्यायाधीशों वाली पीठ ने यह खंडित फैसला सुनाया है।
जस्टिस निशा बानू ने कहा कि याचिका विचार योग्य है और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के पास धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत पुलिस हिरासत मांगने का अधिकार नहीं है। जस्टिस निशा बानू ने बालाजी के अस्पताल में इलाज के वक्त को उनकी ईडी हिरासत अवधि से बाहर करने की ईडी की अर्जी भी खारिज कर दी है।
जस्टिस डी भरत चक्रवर्ती ने क्या कहा
जस्टिस डी भरत चक्रवर्ती जस्टिस निशा बानू से एकदम उलट फैसला सुनाते हुए सवाल किया कि क्या रिमांड आदेश के बाद Habeas Corpus याचिका सुनवाई योग्य है। यह देखते हुए कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि बालाजी की रिमांड अवैध थी। यह कहते हुए डी भरत चक्रवर्ती ने याचिका को खारिज कर दिया।उन्होने यह भी कहा कि बालाजी के अस्पताल में रहने की अवधि को उनकी ईडी हिरासत अवधि से बाहर रखा जाना चाहिए।
गिरफ्तारी के बाद तुरंत अस्पताल में हुए थे भर्ती, क्या है पूरा मामला
तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी ने सीने में दर्द की शिकायत की थी और 14 जून को गिरफ्तारी के तुरंत बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था, एक हफ्ते बाद उनके दिल की सर्जरी हुई।
बालाजी की पत्नी मेगाला ने मौलिक और वैधानिक अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए उनकी गिरफ्तारी के बाद बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (Habeas Corpus) दायर की थी। उन्होंने ईडी द्वारा मंत्री की गिरफ्तारी, रिमांड और उसके बाद हिरासत में प्रक्रियाओं और कानूनों के उल्लंघन का आरोप लगाया है। यह गिरफ्तारी ईडी ने रैपिड एक्शन फोर्स की सहायता से की थी। मेगाला ने शिकायत की कि बालाजी के दोस्त और रिश्तेदार, जो उनके साथ मौजूद थे, को घर से बाहर निकाल दिया गया और किसी को नहीं पता था कि 13 जून, 2023 सुबह 7.45 बजे से 14 जून, 2 बजे तक घर के अंदर क्या हो रहा था।