दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के अध्यक्ष ओ एम ए सलाम की अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी। इसमें उन्होंने अपनी पत्नी के साथ रहने के लिए राहत मांगी थी, जिसमें कहा गया था कि अप्रैल में उनकी बेटी की मौत के बाद से वह अवसादग्रस्त हैं। न्यायमूर्ति प्रतिभा सिंह और अमित शर्मा की अदालत ने कहा कि सलाम की पत्नी की चिकित्सा स्थिति “न तो चिंता बढ़ाने वाली है और न ही ऐसी कि तत्काल हस्तक्षेप की जरूरत हो” और मानसिक स्थिति “लंबे समय तक” बनी रहेगी।
अदालत ने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि किसी व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य शारीरिक स्वास्थ्य जितना ही महत्वपूर्ण है, हालांकि, अदालत को वर्तमान आवेदन पर विचार करते समय विभिन्न कारकों को ध्यान में रखना होगा।”
कोर्ट ने कहा- अपील को मानवीय और जनता के हित के आधार पर विचार किया गया
यह देखते हुए कि सलाम ने कई वर्षों तक पीएफआई का प्रबंधन और संचालन किया है और “संगठन के भीतर काफी प्रभाव रखता है।” अदालत ने तर्क दिया कि “अपीलकर्ता द्वारा बताए गए कारणों को मानवीय आधार पर और आम जनता को होने वाले नुकसान की गंभीर संभावना को ध्यान में रखकर विचार किया गया। खासकर केरल में, जहां अपीलकर्ता के पास बड़ी संख्या में अनुयायी हैं।”
इस तथ्य पर प्रतिकूल दृष्टिकोण रखते हुए कि सलाम ने अदालत के सुझाव को अस्वीकार कर दिया था कि क्या वह दिल्ली में दो सप्ताह के लिए हिरासत पैरोल पर जाने के लिए तैयार होगा ताकि उसकी पत्नी राष्ट्रीय राजधानी की यात्रा कर सके, पीठ ने कहा, “अपीलकर्ता द्वारा लिया गया यह रुख स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि अपीलकर्ता का इरादा केवल अपनी पत्नी से मिलना नहीं है, बल्कि केरल राज्य का दौरा करना है, जो अदालत की राय में, अपीलकर्ता के प्रभाव को देखते हुए गंभीर जोखिम और अप्रत्याशित परिणामों की संभावना से भरा है।”
अंतरिम जमानत की याचिका को खारिज करते हुए, अदालत ने कहा कि सलाम के चार बच्चे हैं और उसकी पत्नी की देखभाल करने के लिए पर्याप्त सदस्य हैं। इससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट की विशेष एनआईए अदालत ने 31 मई को सलाम को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था, जिसे उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
एनआईए ने सितंबर 2022 में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के प्रावधानों के तहत सलाम को गिरफ्तार किया था। सरकार ने 27 सितंबर, 2022 को पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों को पांच साल के लिए गैरकानूनी संगठन घोषित किया था। एनआईए ने अंतरिम जमानत देने का विरोध करते हुए तर्क दिया था कि पीएफआई के पास “देश के खिलाफ कई हानिकारक उद्देश्य हैं।” और पीएफआई के अध्यक्ष सलाम को रिहा करने से “सार्वजनिक सुरक्षा को खतरा होगा।”
सलाम ने इस आधार पर जमानत मांगी थी कि उनकी बेटी, जो एमबीबीएस की छात्रा थी, की 18 अप्रैल को एक वाहन दुर्घटना में मौत हो गई। इसके बाद उसकी पत्नी अत्यधिक दुख और कुछ अन्य मानसिक हालातों से पीड़ित है। इस बीमारी को ‘अवसादग्रस्त मनोदशा (विकार) के साथ समायोजन विकार’ बताया गया है। विशेष एनआईए अदालत ने 18 अप्रैल को सलाम को अपनी मृत बेटी के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए 19 अप्रैल से 21 अप्रैल तक प्रतिदिन छह घंटे के लिए हिरासत पैरोल दी थी।