हाईकोर्ट की लताड़ के बाद कर्नाटक सरकार ने मजदूर विरोध अधिसूचना वापस ले ली है। 22 मई को राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी करते हुए  फैक्टरीज अधिनियम 1948 के अंतर्गत पंजीकृत कारखानों में काम की अवधि प्रतिदिन दस घंटे और सप्ताह में 60 घंटे कर दिया था।

सरकार ने यह कदम तब उठाया है जब कर्नाटक हाईकोर्ट ने 9 जून को सुनवाई के दौरान कहा था कि सरकार अगर यह अधिसूचना वापस नहीं लेती है तो कोर्ट खुद अगले सुनवाई से पहले इस पर रोक लगा देगी। राज्य सरकार ने 72 साल पूराने कानून के प्रावधान में बदलाव किया था। चीफ जस्टिस एएस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच का कहना है कि फैक्ट्री अधिनियम की धारा 5 के आधार पर इस अधिसूचना को बरकरार नहीं रखा जा सकता है।

एडवोकेट बसवा कुणले और हेमंत राव ने इस मामले को लेकर याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि 22 मई को जारी अधिसूचना को अवैध, मनमाना और संवैधानिक और वैधानिक सुरक्षा के उल्लंघन के चलते खारिज किया जाना चाहिए। कई श्रमिक संगठनों ने भी सरकार के आदेश को अनुचित बताते हुए विरोध जताया था।

बता दें कि इससे पहले उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने  रजिस्टर्ड कारखानों को युवा श्रमिकों से कुछ शर्तों के साथ एक दिन में 12 घंटे तक काम कराने संबंधी छूट की अधिसूचना जारी की थी। हालांकि विरोध और आलोचना के बाद राज्य सरकार ने अधिसूचना निरस्त कर दी थी। अधिसूचना को वापस लिए जाने के बाद प्रदेश में अब फिर श्रमिकों से काम कराने की अवधि अधिकतम आठ घंटे हो गई है।