झारखंड सरकार ने गुरुवार (5 नवंबर, 2020) को एक आदेश जारी कर सीबीआई को राज्य में शक्तियों और न्यायक्षेत्र के इस्तेमाल के लिए दी गई सहमति को वापस ले लिया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के एक बयान में कहा गया है कि राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में जारी आदेश के बाद केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को अब झारखंड में शक्तियों और न्यायक्षेत्र के इस्तेमाल के लिए आम सहमति नहीं होगी, जो झारखंड सरकार (तत्कालीन बिहार) द्वारा 19 फरवरी 1996 को जारी एक आदेश के तहत दी गई थी।

हाल के समय में राजस्थान, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और केरल की सरकारों ने भी इसी तरह के फैसले लिए और सीबीआई को दी हुई सामान्य सहमति को वापस ले ली। झारखंड सरकार के नए आदेश के अनुसार अब सीबीआई को किसी भी मामले की जांच के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेनी होगी। इस आदेश का सीधे यह मायने होगा कि अब किसी भी मामले की जांच के लिए सीबीआई को राज्य में मुख्यमंत्री की अनुमति लेनी होगी या सीबीआई हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के आदेश से ही ऐसा कर सकेगी।

उल्लेखनीय है कि साल 2018 में आंध्र में तब की चंद्रबाबू नायडू सरकार ने एनडीए से बाहर हो गई। इसी साल राज्य में सीबीआई के प्रवेश पर बैन लगा दिया गया। इसके बाद पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने यही आदेश पारित करवाया। छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने 2019 में सीबीआई को राज्य में जांच के लिए दिया गया जनरल कंसेंट वापस ले लिया है। राजस्थान में सचिव पायलट के विद्रोह के बाद प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार भी सीबीआई से जनरल कंसेंट वापस ले चुकी है।

आपको बता दें कि सीबीआई दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टेब्लिसमेंट (डीएसपीई) एक्ट के तहत काम करती है। इसकी धारा 6 जांच एजेंसी को दिल्ली समेत किसी भी केंद्र शासित प्रदेश से बाहर सरकार की अनुमति के बिना उस राज्य में जांच करने से रोकती है। (एजेंसी इनपुट)