ईरान और तालिबान के बीच सीमा पर पिछले हफ्ते भारी गोलीबारी हुई। दोनों ओर से सैनिक मारे गए या घायल हुए। इस टकराव से दोनों देशों के बीच तनाव गहरा गया है। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर पहले गोलीबारी शुरू करने का आरोप लगाया।

ये झड़पें ऐसे समय हुर्इं, जबकि हेलमंद नदी के पानी को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद बना हुआ है। इस नदी का पानी दोनों देशों के लिए एक जीवंत स्रोत है, जो खेती, आजीविका और पारिस्थितिकी की बहाली में काम आता है। अफगानिस्तान और ईरान सदियों से इस नदी के पानी के बंटवारे को लेकर टकराते रहे हैं।

हेलमंद अफगानिस्तान की सबसे लंबी नदी है। पश्चिमी हिंदुकुश पर्वत शृंखला में काबुल के पास उसका उद्गम होता है और रेगिस्तानी इलाकों से होते हुए वह दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहती है। 1,150 किलोमीटर लंबी हेलमंद नदी, हामन झील में गिरती है जो अफगानिस्तान-ईरान सीमा पर फैली हुई है।हामन झील ईरान में ताजे पानी की सबसे विशाल झील है।

एक जमाने में यह दुनिया के सबसे बड़े आर्द्रभूमि में से एक थी। हेलमंद के पानी से भरी यह झील 4,000 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैली हुई है। अब ये सिकुड़ रही है। विशेषज्ञ इसके लिए सूखे के अलावा बांधों और पानी पर नियंत्रण को जिम्मेदार मानते हैं। यह झील इलाकाई पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए अहम है।

ईरान और अफगानिस्तान के बीच पानी के बंटवारे को लेकर 1973 में हेलमंद नदी समझौता हुआ था। लेकिन संधि की न तो पुष्टि की गई और न ही पूरी तरह से अमल में आ पाई, जिसकी वजह से तनाव की स्थिति बनी। ईरान का आरोप है कि अफगानिस्तान उसके पानी के अधिकारों का वर्षों से हनन करता आ रहा है। उसकी दलील है कि 1973 के समझौते में पानी की जो मात्रा बांटने पर सहमति बनी थी, उससे बहुत कम पानी ईरान को मिलता है।

अफगानिस्तान में ईरानी राजदूत हसन कजेमी कूमी ने के मुताबिक, पिछले साल ईरान को अपने हिस्से का सिर्फ चार फीसद पानी मिला था। अफगानिस्तान ने ईरान के आरोपों को खारिज करते हुए बताया है कि नदी का जलस्तर जलवायु से जुड़े कारणों की वजह से कम हुआ है, जैसे कि कम बारिश।

ईरान के लिए चिंता का प्रमुख स्रोत है, अफगानिस्तान में हेलमंद नदी के किनारों पर बांधों, जलाशयों और सिंचाई प्रणालियों का निर्माण। ईरान को डर है कि इन परियोजनाओं की वजह से उसके पास कम पानी बहकर आता है, अफगानिस्तान की दलील है कि देश के भीतर पानी की किल्लत से निपटना और सिंचाई क्षमता को बढ़ाना उसका हक है। तेहरान का कहना है कि अफगानिस्तान में हेलमंद नदी पर बांधों के निर्माण से ईरान में पानी का बहाव कम होता है। तेहरान का कहना है कि अफगानिस्तान में हेलमंद नदी पर बांधों के निर्माण से ईरान में पानी का बहाव कम होता है।

तेहरान-तालिबान समझौते

ईरान और अफगानिस्तान के बीच जमीन पर 950 किलोमीटर लंबी सीमा है। दोनों देशों के बीच कोई खास क्षेत्रीय विवाद नहीं रहे हैं। अगस्त 2021 में जब अमेरिकी और नाटो सेनाएं अफगानिस्तान छोड़ने के आखिरी चरण में थीं, तभी राजधानी काबुल पर तालिबानियों ने कब्जा कर लिया था। इससे पहले ईरान ने अफगानिस्तान के साथ अच्छे संबंध बनाए हुए थे। इलाके में अमेरिका की उपस्थिति के विरोध में दोनों पक्ष एकजुट थे। हालांकि ईरान ने तालिबान सरकार को औपचारिक रूप से मान्यता देने से खुद को रोका हुआ है, लेकिन व्यावहारिकता का तकाजा निभाते हुए वो मौजूदा अफगानी शासकों के साथ रिश्ते बनाए हुए है।