देश में पहली बार जिला स्तर के सरकारी डाक्टरों ने हार्ट ट्रांसप्लांट कर इतिहास रच दिया। यह कारनामा केरल के एर्नाकुलम जिला अस्पताल में किया गया है।
कोल्लम के रहने वाले ए.सिबु को तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। इसके बाद उनके परिवार ने ए.सिबु के हार्ट को दान करने का फैसला लिया और कोच्चि से एयर एंबुलेंस के जरिए अंग को एर्नाकुलम जिला अस्पताल लाया गया, जहां नेपाल की 21 वर्षीय अनाथ लड़की उस हार्ट का इंतजार कर रही थी।
सड़क हादसे की वजह से चल रहा था इलाज
ए.सिबु की उम्र 46 वर्ष थी। 14 दिसंबर को एक सड़क हादसे के बाद उनका इलाज चल रहा था। शनिवार को डॉक्टरों ने उन्हें बेनडेड घोषित कर दिया और फिर उनका परिवार उनके अंगदान के लिए राजी हो गया। सोमवार को एर्नाकुलम जिला अस्पताल की एक टीम तिरुवंनतपुरम पहुंची और ए.सिबु के हॉर्ट को अपने हवाले किया। इसके बाद एयर एंबुलेंस से टीम एर्नाकुलम की ओर रवाना हो गई, जहां नेपाल की दुर्गा कामी उस हॉर्ट का इंतजार कर रहीं थीं।
दुर्गा हार्ट की बीमारी से जूझ रही थीं, दुर्गा ने 11 दिसंबर को हाईकोर्ट से एक आदेश हासिल किया था जिसमें कोर्ट ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग को हॉर्ट डोनर लिस्ट में उन्हें प्राथमिकता देने का निर्देश दिया था।
स्वास्थ्य मंत्री ने की तारीफ
इस मामले को लेकर केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जार्ज ने अपने फेसबुक पर पोस्ट लिखकर डॉक्टरों की तारीफ की है।
उन्होंने लिखा, “उम्मीद से धड़कन तक, एर्नाकुलम के सरकारी जिला अस्पताल में हार्ट ट्रांसप्लांट की सर्जरी। देश के इतिहास में किसी जिला अस्पताल में पहली बार ऐसा काम हुआ है। हम डोनर के परिवार के प्रति गहरी श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करते हैं, जिन्होंने निस्वार्थ और दया भाव से फैसला लिया, जिससे एक युवती को जीवनदान मिला।”
केरल सरकार ने खर्च किए पैसे
यह सर्जरी जिला अस्पताल के आठ डाक्टरों की टीम ने मिलकर किया और बिना किसी फीस के काम किया। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने इस सर्जरी के लिए 12 लाख रुपये खर्च किए। हार्ट के अलावा, शिबु की किडनी, लीवर, त्वचा और आंखें भी अन्य मरीजों के लिए विभिन्न अस्पतालों में दान की गईं।
नेपाल की दुर्गा कामी ने सात वर्ष की आयु में अपने माता-पिता को खो दिया। वह अपने भाई के साथ नेपाल के सुएखेत जिले के भेरी गंगा स्थित माया सदन अनाथ में रहती हैं।
लड़की को थी दुर्लभ बीमारी
दुर्गा कामी कार्डियक सार्कोइडोसिस नाम की एक दुर्लभ और गंभीर हार्ट रोग से पीड़ित हैं, जिससे उसकी मां और बड़ी बहन दोनों की मृत्यु हो गई थी और वह इस साल जुलाई में इलाज के लिए केरल आई थीं। उसके भाई थिलक कामी ने मीडिया से बात करते हुए केरल सरकार को धन्यवाद दिया और कहा, “यह सब ईश्वर की मर्जी से हो सका, हम कई अन्य जगहों पर सर्जरी के लिए गए थे, पर केरल ने हमारी मदद की। हम डॉक्टरों और अस्पताल के स्टाफ से बेहद खुश हैं, जो हमारे साथ खड़े रहे।”
यह भी पढ़ें: स्कूलों को ‘सांप्रदायिक प्रयोगशालाओं’ में नहीं बदलने देंगे- केरल सरकार; RSS पर क्या आरोप लगे?
