पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे इमरान खान की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। इस्लामाबाद हाईकोर्ट में उनकी सजा पर अपील के खिलाफ चल रही सुनवाई शुक्रवार तक के लिए टल गई है। हाईकोर्ट अपना फैसला आज सुना देता तो इमरान को राहत मिलती, क्योंकि फिर वो सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते थे। उधर, इमरान खान को एक और झटका देते हुए एक पाकिस्तानी अदालत ने नौ मई को लाहौर कोर कमांडर के घर (जिन्ना हाउस) में हुई तोड़फोड़ के सिलसिले में जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री को गिरफ्तार करने और जांच करने की पुलिस को अनुमति दे दी है।

चीफ जस्टिस ऑफ पाकिस्तान उमर अता बंदियाल ने निचली अदालत के फैसले पर बीते दिन प्रतिकूल टिप्पणी की थी। लेकिन उनका कहना था कि वो इस मामले में कोई एक्शन तभी लेंगे जब इस्लामाबाद हाईकोर्ट में इमरान की अपील पर सुनवाई हो जाए। हाईकोर्ट का फैसला देखने के बाद ही उन्होंने सुनवाई शुरू करने की बात कही। इमरान खान फिलहाल पाकिस्तान की अटल जेल में तीन साल की सजा काट रहे हैं।

इस्लामाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस आमेर फारूक और जस्टिस तारिक महमूद जहांगीरी की बेंच ने तोशाखाना मामले में सजा के खिलाफ 70 वर्षीय खान की अपील पर आज सुनवाई की थी। सुनवाई के दौरान इमरान खान के वकील लतीफ खोसा ने सजा के खिलाफ अपनी दलील पेश की। उन्होंने कहा कि फैसला जल्दबाजी में दिया गया था इसमें खामियां हैं। उसके बाद पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) के वकील अमजद परवेज ने बहस शुरू कर दी। उन्होंने अदालत से कहा कि उन्हें अपनी दलील पेश करने के लिए कम से कम तीन घंटे का समय चाहिए। इसके बाद अदालत ने सुनवाई शुक्रवार सुबह साढ़े 11 बजे तक के लिए टाल दी।

अक्टूबर 2022 में पाकिस्तान चुनाव आयोग की शिकायत पर शुरू हुआ था केस

इस मामले की शुरुआत पिछले साल अक्टूबर में पाकिस्तान चुनाव आयोग की शिकायत पर हुई थी। आयोग ने इसके पहले इसी मामले में खान को अयोग्य ठहराया था। महीनों तक चली सुनवाई के बाद इस्लामाबाद सेशन कोर्ट के जज हुमायूं दिलावर ने पांच अगस्त को खान को सरकारी उपहारों की बिक्री से प्राप्त आय को छिपाने के लिए तीन साल की सजा सुनाई।

रिपोर्ट के अनुसार इमरान खान को अपने साढ़े तीन साल के कार्यकाल के दौरान विश्वभर के कई नेताओं से 14.0 करोड़ रुपये से अधिक के 58 उपहार मिले थे। उन सभी को उन्होंने ना के बराबर राशि का भुगतान करके या बिना किसी भुगतान के अपने पास रखा।