आम आदमी पार्टी के मंत्री रहे सत्येंद्र जैन की जमानत के विरोध में ईडी ने पुरजोर दलीले दीं। एजेंसी का कहना था कि जैन बेहद प्रर्भावशाली नेता हैं। उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर न केवल बहुत सारे काले धन को सफेद किया बल्कि साक्ष्य भी बड़ी होशियारी से मिटा दिए। ईडी का कहना था कि उन्हें जमानत पर रिहा करना गलत होगा, क्योंकि वो और भी हेरफेर कर सकते हैं।
राउज एवेन्यू कोर्ट के स्पेशल जज विकास ढुल की कोर्ट में ईडी की तरफ से दलीलें पेश करते हुए एसवी राजू ने कहा कि सत्येंद्र जैन एक बेहद प्रभावशाली नेता थे। उन्होंने न केवल काले धन को सफेद किया बल्कि साक्ष्यों को भी मिटाया। उनका कहना था कि गलत साक्ष्य गढ़कर उन्होंने अपने काले कारनामों को मिटाया।
एएसजी ने जेपी मेहता का हवाला दिया। उनका कहना था कि कोलकाता के हवाला ऑपरेटर्स और जैन के नियंत्रण वाली कथित कंपनियों के बीच वो एक मजबूत लिंक थे। उन्होंने कहा कि जैन सारे मामले के सरगना थे। उनका कहना था कि जैन ने संदिग्ध कंपनियों से खुद को कागजों पर ही अलग किया था। जबकि वास्तविकता में वो खुद ही सारी कंपनियों को कंट्रोल कर रहे थे।
उनका कहना था कि जिन पांच कंपनियों का जिक्र इस मामले में किया गया है वो केवल कागजों पर ही चल रही थीं। उनका काम धंधे से कोई खास लेना देना नहीं था। उनका कहना था कि मामले में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। कोर्ट ने इसे स्वीकार भी कर लिया है। इसे कहीं से चुनौती भी नहीं दी गई है। मामले की सुनवाई 9 नवंबर को भी जारी रहेगी।
ईडी ने सीबीआई की तरफ से दर्ज केस का संज्ञान लेते हुए जैन के खिलाफ मनी लांड्रिंग का केस दर्ज किया है। सीबीआई का आरोप है कि जैन ने 2015 से लेकर 2017 के दौरान बहुत सारी संपत्ति अर्जित की। ये कई लोगों के नाम पर थीं। जैन इन सारी कंपनियों को कंट्रोल कर रहे थे। वो ही इनके जरिये फायदा उठा रहे थे। बकौल एजेंसी जैन सारे गोरखधंधे के मास्टर माइंड थे। वो ही सारा खेल चला रहे थे।