राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ‘द टर्बुलेंट ईयर्स:1980-1996’ में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ रिश्‍तों के बारे में कई खुलासे किए हैं। उन्‍होंने अपनी किताब में राजीव गांधी की ‘राजनीतिक गलतियों’ के बारे में भी जिक्र किया है। प्रणब मुखर्जी ने लिखा, ‘अयोध्या में रामजन्मभूमि का ताला खुलवाना प्रधानमंत्री राजीव गांधी का गलत निर्णय था और विवादित ढांचा गिराया जाना पूर्ण विश्वासघात, जिसने भारत की छवि को नुकसान पहुंचाया।’

प्रणब मुखर्जी ने लिखा, ‘बाबरी मस्जिद विध्‍वंस को नहीं रोक पाना नरसिम्हा राव की बड़ी नाकामियों में एक है। उन्हें दूसरे सियासी दलों से सख्त बातचीत करके जिम्मेदारी यूपी के ही किसी वरिष्ठ नेता को देनी चाहिए थी जैसे- एनडी तिवारी। गृहमंत्री एसबी चव्हाण हालात की गंभीरता को समझ नहीं पाए थे।’

उन्होंने लिखा,, ‘शाह बानो और मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) विधेयक पर राजीव के कदमों की आलोचना हुई और इससे एक आधुनिक सोच वाले व्यक्ति के तौर पर बनी उनकी छवि खराब हुई।’ पांच बच्चों की मां शाह बानो को उसके पति ने 1978 में तलाक दे दिया था। उसने एक आपराधिक मुकदमा दर्ज किया, जिस पर उच्चतम न्यायालय ने उसके पक्ष में फैसला सुनाया और उसे अपने पति से गुजारा भत्ते का अधिकार हासिल हुआ था।

प्रणब मुखर्जी ने किताब में अपने और राजीव गांधी के संबंधों का जिक्र करते हुए लिखा, ‘मैंने कभी प्रधानमंत्री बनने की कोशिश नहीं की। इंदिरा गांधी की हत्‍या के बाद जब राजीव प्रधानमंत्री बने तो उन्‍होंने मुझे कैबिनेट से निकाल दिया था। मैं हैरान रह गया था, लेकिन मैंने उनसे संपर्क करने की कोशिश नहीं की। लेकिन 1989 लोकसभा चुनाव में हार के बाद राजीव और मैं करीब आए।’

उन्होंने लिखा, ‘जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद एवं सीमापार आतंकवाद शुरू हुआ, राम जन्मभूमि मंदिर-बाबरी मस्जिद मुद्दे ने देश को हिलाकर रख दिया था।’