केरल के मल्लपपुरम के तनुर में नाव पलटने के हादसे के बाद केरल हाईकोर्ट का गुस्सा सातवें आसमान पर है। पिनरई विजयन सरकार को हिदायत दी गई है कि उनका सीनियर अफसर कोर्ट में आकर बताए कि ऐसे हादसों को रोकने के लिए उनका मास्टर प्लान क्या है। मई में हुए हादसे में 22 लोगों की मौत हो गई थी। इनमें 15 बच्चे थे। केरल हाईकोर्ट इस दर्दनाक मामले का स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है।
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एसवीएन भट्टी और जस्टिस बसंत बालाजी की बेंच ने आदेश जारी करते हुए कहा कि सरकार के पास दो सप्ताह का समय है। उनका एक सीनियर अफसर हमें बताए कि इस तरह के हादसों को रोकने के लिए उनके पास क्या योजना है। कोर्ट ने कहा कि चीफ सेक्रेट्री अपने किसी जिम्मेदार अफसर को इस काम के लिए नियुक्त करें। रिपोर्ट में हादसे रोकने का पूरा मास्टर प्लान होना चाहिए। सुनवाई 22 जून को होगी।
बगैर फिटनेस सर्टिफिकेट के पानी में उतर गई थी बोट
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जिस टूरिस्ट बोट के साथ ये हादसा हुआ वो फिटनेस सर्टिफिकेट के बगैर काम कर रही थी। संभावना है कि नाव में क्षमता से ज्यादा लोग बिठाने की वजह से ये हादसा हुआ। आरोप है कि नाव में केवल 20 लोगों के बैठने की जगह थी। लेकिन उसमें बैठे लोगों की तादाद कहीं ज्यादा थी। यही वजह थी कि जब नाव गहरे पानी में गई तो संतुलन कायम नहीं रख पाई और हिचकोले खाकर पलट गई।
हाईकोर्ट की डबल बेंच ने नौकाओं को लेकर पहले भी दिया था आदेश
केरल हाईकोर्ट की ही दूसरी बेंच ने भी इस सिलसिले में हादसे के बाद एक आदेश जारी किया था। जस्टिस देवेन रामचंद्रन और जस्टिस सोफी थॉमस की बेंच ने अपने आदेश में कहा था कि सारे नौका मालिक नाव में एंट्री और एग्जिट के साथ अपर डेक और लोअर डेक को इंगित करती हुई जानकारी अंग्रेजी और मलयालम में दर्ज करें। नाव के एंट्री प्वाइंट पर ये भी लिखा हो कि इसमें कितने लोगों के बैठने की क्षमता है। नाव में बैठने वाले लोगों को पूरा रिकार्ड उसका मालिक तैयार करे। नाव का इंश्योरेंस भी होना अनिवार्य है। कोर्ट का कहना था कि ऐसे हादसे रोकने के लिए सख्ती करनी होगी।
