बॉम्बे हाईकोर्ट ने कानूनी बिरादरी को फ्रंटलाइन वर्कर्स के रूप में मानते हुए कोरोना वैक्सीनेशन में प्राथमिकता दिए जाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी। अदालत ने याचिका कर्ता से कहा कि क्या आपने ‘टाइटैनिक’ देखी है? चीफ जस्टिस ने कहा कि कैप्टन को सबसे अंतिम तक इंतजार करना होता है। पहले सभी लोगों को लगनी चाहिए उसके बाद न्यायपालिका का नंबर आता है। हम यहां पर कैप्टन हैं।
बॉम्बे बार एसोसिएशन की याचिका को स्वार्थ पूर्ण बताते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि कुछ फैसलों को कार्यपालिका के विवेक पर छोड़ देना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की एक पीठ वकीलों की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। बॉम्बे बार एसोसिएशन की तरफ से अपील की गयी थी कि न्यायपालिकाओं के सदस्यों, अधिवक्ताओं और उनके कर्मचारियों को फ्रंटलाइन कार्यकर्ता के रूप में माना जाए। साथ ही उन्हें प्राथमिकता के आधार पर कोविड-19 से बचने के लिए टीका प्रदान किया जाए।
बताते चलें कि हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने कोविड टीका दूसरे देशों में भेजे जाने को लेकर सख्त टिप्पणी की थी। मामले पर दो जजों की पीठ ने कहा था कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक के पास अधिक मात्रा में टीका उत्पादन करने की क्षमता है लेकिन ऐसा महसूस होता है कि वह पूरी क्षमता के साथ उत्पादन नहीं कर रहे हैं।
गौरतलब है कि भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक वैक्सीन का उत्पादन कर रही है। इसमें से सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कोविशील्ड वैक्सीन बना रहा है जबकि भारत बायोटेक कोवैक्सीन का उत्पादन कर रही है।
दरअसल सरकार ने वैक्सीन की खुराक देने के लिए एक वरीयता क्रम तैयार किया है।इसमें सबसे पहले फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर को रखा गया है। दूसरे नंबर पर सेना, पुलिस, फायर बिग्रेड और नगर निगम के कर्मचारी और 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को शामिल किया गया है।