Eknath Shinde At Idea Exchange: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने द इंडियन एक्सप्रेस के कार्यक्रम ‘Idea Exchange’ में शिरकत की। उन्होंने यहां पर मराठा आरक्षण, स्थानीय निकाय चुनाव, पश्चिम बंगाल में नागरिकता की समस्या और जीएसटी स्लैब में कटौती पर खुलकर बात की।

मनोज जरांगे पाटिल मुंबई आए और उन्होंने शहर को पांच दिनों तक बंधक बनाए रखा। इस पर आपकी क्या राय है?

मुंबई के लोगों को कुछ परेशानी हुई, लेकिन अब जरांगे पाटिल का आंदोलन खत्म हो गया है। मुख्यमंत्री, अजित दादा और मैंने विशेषज्ञों, कानूनी सलाहकारों समेत कई लोगों से बात की। हमारी उप-समितियां भी थीं। हम उनकी सभी मांगें पूरी नहीं कर सकते और सब कुछ कानून के दायरे में रहकर ही करना होगा। इसलिए हमने हैदराबाद राजपत्र पर एक जीआर जारी किया, जिसके जरिये उन्हें कुनबी प्रमाणपत्र मिलेंगे। वे कह रहे हैं कि राजपत्र के जरिये मराठवाड़ा के सभी लोगों (मराठों) को ओबीसी प्रमाणपत्र मिलेंगे, लेकिन ऐसा नहीं है। राजपत्र में कापू और कुनबी दोनों जातियों का एक निश्चित प्रतिशत भी दर्ज था। इसलिए गांव में जो भी कुनबी है या जिसके कुनबी पूर्वज या रिश्तेदार हैं, उसे जीआर के अनुसार कुनबी प्रमाणपत्र मिलेगा।

तीन चार दिनों तक ऐसा नहीं लगा कि दोनों डिप्टी सीएम और सीएम के बीच इस मुद्दे पर कोई बातचीत हो रही है?

जरांगे पाटिल के यहां आने से पहले और यहां तक कि जब जीआर जारी किया गया था, तब भी हम तीनों की एक बैठक हुई थी। इसमें मुख्यमंत्री, अजित दादा और मैं शामिल थे। हमारी तीन-चार बैठकें हुईं। इन बैठकों और चर्चाओं के बाद ही जीआर जारी किया गया और उप-समिति वहां भेजी गई।

पिछले आठ महीनों में ऐसा क्या हुआ कि जरांगे पाटिल ने फिर से विरोध प्रदर्शन किया?

मुख्य मुद्दा सिर्फ मराठवाड़ा का है। जब हम वाशी में उनसे मिले, तो उन्होंने पूरा नोटिफिकेशन पढ़ा। अब वे मराठवाड़ा के सभी मराठों को ओबीसी में एक साथ शामिल करना चाहते हैं। हम ऐसा नहीं कर सकते। यह गैरकानूनी होगा और अदालत में टिक नहीं पाएगा। उन्होंने कहा कि थोड़ा समय लीजिए और और विशेषज्ञों से बात कीजिए। मैंने कहा था कि हम उन्हें आरक्षण देंगे और हमने तुरंत जस्टिस शुक्रे आयोग बनाया। एक बड़ा सर्वेक्षण हुआ और 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया, जो अभी लागू है।

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महाराष्ट्र में आने वाले महीनों में स्थानीय निकाय चुनाव होने वाले हैं। क्या यह पूरा आंदोलन मराठा बनाम गैर-मराठा ध्रुवीकरण की ओर ले जाएगा?

इसका स्थानीय निकाय चुनावों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। स्थानीय चुनाव पार्टी पर नहीं, उम्मीदवार पर निर्भर करते हैं। यह जो आंदोलन हुआ, उसके नतीजों का भी चुनावों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। पूरे महाराष्ट्र में हम सब महायुति गठबंधन के रूप में लड़ेंगे। मुंबई से लेकर हर जगह। चुनाव दिसंबर तक होने चाहिए।

क्या आपको लगता है कि उपमुख्यमंत्री बनने के बाद आपको दरकिनार कर दिया गया है?

मुझे ऐसा नहीं लगता। जब मैं मुख्यमंत्री था, तब दोनों डीसीएम एक टीम की तरह काम करते थे। आज देवेंद्र जी मुख्यमंत्री हैं और हमारी टीम काम कर रही है। हमारा एजेंडा विकास और महाराष्ट्र को आगे ले जाना है। हमारा कोई निजी एजेंडा नहीं है। आज महाराष्ट्र में काफी निवेश आ रहा है और हमारा एजेंडा मोदी जी के विकसित भारत 2047 जैसा है। हम तीन चरणों में काम कर रहे हैं।

सरकार ने जीएसटी स्लैब में कटौती की घोषणा की है। क्या इससे आपके जीएसटी राजस्व पर असर पड़ेगा?

नहीं, ऐसा नहीं होगा। उदाहरण के लिए, कोविड के दौरान, जब हमने प्रीमियम और स्टाम्प ड्यूटी कम की, तो उससे राजस्व बढ़ा। इससे उपभोक्ता उपभोग बढ़ेगा और इससे अर्थव्यवस्था को ही फायदा होगा। यह आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है और ट्रंप के टैरिफ का एक विकल्प भी।

क्या आप पश्चिम बंगाल में नागरिकता की समस्या के बारे में बात कर सकते हैं और यह पश्चिम बंगाल में इतना क्यों हो रहा है?

बांग्लादेशियों को इस देश से निकाल देना चाहिए। उन्हें कोई शरण न दे। अगर हम ये सब वोट की राजनीति करेंगे, तो हमारा देश खतरे में पड़ जाएगा।

बिहार चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है और विपक्ष वोट चोरी का अभियान चला रहा है, महाराष्ट्र सरकार के गठन का हवाला दे रहा है। इस पर आपका क्या कहना है?

हमारी लड़की बहनों के साथ-साथ उनके पतियों और रिश्तेदारों ने भी हमें वोट दिया। वोटिंग प्रतिशत बढ़ा। तो ये उन लोगों का भी अपमान है जिन्होंने हमें वोट दिया। जब वो वोट जीत जाते हैं, तो कहते हैं सब ठीक है, ईवीएम ठीक है, वोटर लिस्ट भी ठीक है। लोकसभा में, क्या हमने कहा था कि उन्होंने वोट चुराए। उन्हें लोकसभा में ज्यादा सीटें मिलीं ना? उन्होंने झूठ फैलाया कि संविधान खतरे में है। क्या कोई संविधान बदल सकता है या SC/ST आरक्षण खत्म कर सकता है? राज्य स्तर पर किसके पास अधिकार है? उन्होंने ये भी कहा।

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