उत्तर प्रदेश के हाथरस में युवती से बलात्कार और हत्या के मामला में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने केस दर्ज़ किया है। सीबीआई ने हत्या, गैंगरेप, हत्या का प्रयास और SC/ST ऐक्ट के तहत FIR दर्ज कराई है और पुलिस अधिकारियों से केस से जुड़े सभी दस्तावेज भी तलब किए हैं।
लेकिन सीबीआई ने एफ़आईआर दर्ज़ करने और केस की जांच का जिम्मा संभालने के कुछ घंटे बाद ही अपनी वेबसाइट से एफ़आईआर हटा दी। सीबीआई ने कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) द्वारा अधिसूचना जारी किए जाने के बाद यह केस औपचारिक रूप से संभाला है। केस संभालते ही सीबीआई ने धारा 307 (हत्या की कोशिश), 376 (D) (गैंग रेप), 302 (हत्या) और SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989, की धारा 3 (2) (v) के तहत मामला दर्ज़ किया है।
‘द हिन्दू’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक सीबीआई की गाजियाबाद इकाई की भ्रष्टाचार रोधी शाखा (एसीबी) ने मामले में संदिग्ध अपराधों के रूप में “बलात्कार, हत्या का प्रयास, सामूहिक बलात्कार और हत्या (अन्य)” का उल्लेख किया है। एफ़आईआर दर्ज़ करने के बाद एजेंसी की वेबसाइट पर एफआईआर और एक प्रेस विज्ञप्ति प्रकाशित की गई थी, लेकिन बाद में एफआईआर को हटा दिया गया। वहीं प्रेस विज्ञप्ति में जो लिंक दिया गया है उसपर क्लिक करने पर बैंक फ्रॉड का मामला खुलता है।
सोमवार को पीड़ित परिवार की उच्च न्यायालय में पेशी है। कड़ी सुरक्षा के बीच परिवार को लखनऊ ले जाया जाएगा। अदालत पीड़ित परिवार के बयान दर्ज करेगी। न्यायालय ने गत एक अक्टूबर को घटना के बारे में बयान देने के लिए मृत युवती के परिजन को बुलाया था। माना जा रहा है कि परिजन खुद अदालत में पेश होंगे, क्योंकि न्यायालय ने हाथरस जिला प्रशासन को आदेश दिए थे कि वह परिवार की लखनऊ यात्रा का प्रबंध करे।
यह मामला न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति राजन राय की पीठ के समक्ष अपराह्न सवा दो बजे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। उच्च न्यायालय ने हाथरस जिला प्रशासन को आदेश दिया था कि वह सोमवार को लड़की के परिजनों की पेशी सुनिश्चित कराए।
न्यायालय ने मामले की जांच की स्थिति रिपोर्ट पेश करने के लिए गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) और हाथरस के जिला अधिकारी तथा पुलिस अधीक्षक को भी तलब किया है।
कथित सामूहिक बलात्कार की शिकार 19 वर्षीय दलित लड़की की दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में 29 सितंबर को मौत हो गई थी। इसके बाद जिला प्रशासन के कथित दबाव में लड़की का जल्दबाजी में रात में ही अंतिम संस्कार कर दिया गया था। घटना में लड़की के गंभीर रूप से घायल होने और उसकी मृत्यु के बाद प्रशासन द्वारा उसका देर रात कथित जल्दबाजी में अंतिम संस्कार किए जाने पर लोगों में बहुत रोष था जिसके परिणामस्वरूप दिल्ली से लेकर हाथरस तक राजनीतिक घमासान शुरू हो गया।
पुलिस के बयान में जब यह कहा गया कि घटना में बलात्कार के कोई सबूत नहीं मिले हैं तो राजनीतिक घमासान और भी बढ़ गया। जनता की नाराजगी और विपक्ष के विरोध के बाद राज्य सरकार ने मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की। इसके बाद केंद्र सरकार ने शनिवार को अधिसूचना जारी कर मामला विधिवत तरीके से सीबीआई को सौंप दिया।