हरियाणा की कुल आबादी में 20 प्रतिशत से ज़्यादा अनुसूचित जातियां (SC) हैं।  जो देश के किसी भी राज्य में दलितों के सबसे ज़्यादा अनुपात में से एक है। हरियाणा में हुए 2019 के लोकसभा चुनाव, विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव-2024 के विश्लेषण से पता चलता है कि 17 एससी रिजर्व विधानसभा सीटों और कम से कम 20 प्रतिशत से ज़्यादा SC आबादी वाली 47 सीटों पर वोटिंग पैटर्न में बदलाव आया है। यानी पिछले पांच सालों  के चुनावों के आंकड़ों से पता चलता है कि एससी बहुल सीटों पर भाजपा के मुकाबले कांग्रेस को काफी बढ़त मिली है। 

इस बार कैसे प्रभावित होगा दलित वोट? 

हरियाणा विधानसभा चुनाव इस बार थोड़ा अलग हो गया है। वजह  उत्तर प्रदेश से हरियाणा में चुनाव लड़ने आई दलित नेता चंद्रशेखर आज़ाद की आज़ाद समाज पार्टी है। वह दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रहे हैं। इसका सीधा असर दलित वोटों पर हो सकता है। 

 कांग्रेस की सबसे प्रमुख दलित नेता कुमारी शैलजा का एक बयान भी इस दौरान काफी चर्चित है कि अगर पार्टी चुनाव जीतती है तो वह दलित मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा कर सकती है। इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) और मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के बीच गठबंधन भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। 

विश्लेषण लोकसभा चुनाव-2019 : बीजेपी का दबदबा 

लोकसभा चुनाव-2019 में बीजेपी ने हरियाणा में 10 की 10 सीटें जीती थीं। दोनों एससी रिजर्व सीटों-अंबाला और सिरसा-में भी बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की थी। बीजेपी को 50 फीसदी से ज़्यादा वोट शेयर मिला था और जीत का मार्जिन 3 लाख वोट से ज़्यादा का था। 

विधानसभा चुनाव के लेवल पर बीजेपी ने कुल 17 एससी-रिजर्व  सीटों में से 15 पर जीत हासिल की थी। ​​कांग्रेस को दो सीट मिल सकी थी।बीजेपी  ने इन 17 सीटों में 55.8 फीसदी वोट शेयर हासिल किया था जबकि कांग्रेस 27.7% वोट शेयर के साथ बहुत पीछे रह गई थी। 

बीजेपी ने उन 47 सीटों पर भी दबदबा बनाया जहां एससी वोट 20 प्रतिशत से ज़्यादा था। भाजपा 47 में से 44 सीटों में टॉप पर रही। कांग्रेस ने दो और जेजेपी ने एक सीट जीती।

विश्लेषण लोकसभा चुनाव-2024 : कांग्रेस को बढ़त  

लोकसभा चुनाव- 2024 में भाजपा संसद में बहुमत के आंकड़े से पीछे रह गई। हरियाणा में भी पार्टी ने अपनी पांच लोकसभा सीटें कांग्रेस के हाथों गंवा दीं। बढ़ी बात तो यह थी कि बीजेपी एससी-रिजर्व दोनों सीटें- अंबाला और सिरसा- हार गई। 17 एससी-रिजर्व विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस ने 11 क्षेत्रों में जीत के साथ दबदबा बनाया, जबकि 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में यह आंकड़ा दो और सात था।

कांग्रेस का औसत वोट शेयर 51.3% तक बढ़ गया, जबकि भाजपा का 41.3% तक गिर गया। इस बार, कांग्रेस ने 26,000 वोटों के साथ सबसे अधिक औसत जीत का अंतर दर्ज किया, जबकि भाजपा को 21,000 वोट मिले।