रोहतक पुलिस के एएसआई संदीप कुमार ने मंगलवार को और हरियाणा के आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार ने 7 अक्टूबर को आत्महत्या कर ली थी। इन दोनों की मृत्यु में एक हफ्ते का अंतर है। कथित आत्महत्याओं में अजीब समानताएं हैं। दोनों ने फाइनल नोट छोड़े थे, दोनों सिर में गोली लगने से मृत पाए गए थे और दोनों ही मामलों में कोई चश्मदीद नहीं था।

वाई पूरन कुमार ने एक टाइप किया हुआ आठ पेज का नोट छोड़ा है। इसमें उन्होंने डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारनिया सहित नौ सेवारत आईपीएस अधिकारियों को दोषी ठहराया है, जबकि संदीप कुमार ने चार पेज का हाथों से लिखा हुआ नोट छोड़ा है। इसमें उन्होंने कपूर और बिजारनिया का बचाव किया है और वाई पूरन कुमार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है।

दोनों मामलों की जांच कर रही पुलिस

जिस तरह से दोनों ने अपनी जान ली, वह भी एक जैसा था। किसी ने वाई पूरन कुमार को खुद को गोली मारते नहीं देखा और किसी ने संदीप कुमार को खुद को मारते नहीं देखा। चंडीगढ़ पुलिस वाई पूरन कुमार के मामले की जांच कर रही है, वहीं रोहतक पुलिस ने संदीप कुमार की मौत की जांच शुरू कर दी है।

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वाई पूरन कुमार के परिवार ने अभी तक शव का पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया है और कपूर और बिजारनिया की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। संदीप कुमार के परिवार ने भी पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया है और वाई पूरन कुमार के परिवार का समर्थन करने वाले सभी लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग कर रहे हैं।

संदीप कुमार जाट समुदाय से थे

वाई पूरन कुमार दलित थे, जबकि संदीप कुमार जाट समुदाय से थे। हरियाणा की आबादी में जाटों की संख्या 27 प्रतिशत और दलितों की 22 प्रतिशत है। राज्य में जातीय तनाव भड़कने की कई घटनाएं हुई हैं। अप्रैल 2010 में हिसार के मिर्चपुर में जातीय हिंसा हुई थी, जिसमें कई लोग बेघर हो गए थे और कम से कम दो लोग मारे गए थे। फरवरी 2016 में, जाट आरक्षण आंदोलन ने राज्य को हिलाकर रख दिया था, जिसमें 30 लोगों की जान चली गई थी और संपत्ति को नुकसान पहुंचा था। मंगलवार को हरियाणा पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कड़ी नजर रखी जा रही है और राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी कदम उठाए जा रहे हैं।