पंजाब से अपनी मांगों को लेकर दिल्ली की ओर कूच कर रहे किसान शंभू बॉर्डर पर हरियाणा प्रशासन के खिलाफ उग्र विरोध प्रदर्शन कर रही है। हरियाणा सरकार लगातार किसानों को रोकने के लिए प्रयास कर रही है। इस बीच हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर के प्रशासन ने किसानों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम लगा दिया लेकिन खास बात कुछ ही घंटों में इस फैसले को वापस ले लिया। इसे बड़े कदम के तौर पर देखा जा रहा है लेकिन सवाल यह है कि खट्टर सरकार ने अपने ही फैसले को वापस क्यों ले लिया।

इस मामले में पुलिस ने कहा कि हमने एनएसए लगाया नहीं है, बस उसकी प्रक्रिया शुरू की है। अंबाला पुलिस महानिरीक्षक सिबाश कबिराज ने कहा है कि किसान नेताओं के खिलाफ लगे एनएसए एक्ट पर पुनर्विचार किया गया और फिर इसे वापस ले लिया गया है। इस मामले में सरकार के ही एक अधिकारी ने कहा कि किसान नेताओं के खिलाफ एनएसए लगना उनके लिए मुसीबत बन सकता है। अधिकारी ने कहा कि नुकसान भांप कर यह फैसला लिया गया है।

बता दें कि पंजाब के एक 22 वर्षीय युवा आंदोलनकारी किसान की मौत के बाद किसान नेताओं पर एनएसए लगाया गया था लेकिन फिर फैसला पलट दिया गया है। भारतीय किसान यूनियन के चढूनी ग्रुप के राकेश बैंस ने इसे तानाशाही बताया है। बैंस ने कहा कि सरकार किसानों को हर कीमत पर रोकना चाहती है।माना जा रहा है कि लोकसभा चुनावों से पहले हरियाणा सरकार कोई ऐसा कदम नहीं उठाना चाहती है जिससे आंदोलनकारी किसान ज्यादा आक्रोशित हो जाएं। हालांकि सरकार यह भी नहीं चाहती कि हरियाणा के किसानों का बड़ा जमावड़ा हो, वरना हरियाणा में भी किसानों का आंदोलन खड़ा हो सकता है।

2020-21 में तीन विवादास्पद केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के दौरान, प्रदर्शनकारियों ने भाजपा और उसके सहयोगी, डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के नेताओं को हरियाणा के कई गांवों में प्रवेश करने से रोक दिया था। ऐसे में गठबंधन यह नहीं चाहता है कि वहीं स्थिति लोकसभा चुनावों के ठीक पहले फिर खड़़ी हो जाए। इसके अलावा लोकसभा चुनावों के बाद अक्टूबर में हरियाणा विधानसभा चुनाव भी होने हैं, ऐसे में खट्टर सरकार कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है।

2021 के दौरान किसान आंदोलन का समर्थन करने वाले दलों को पंजाब में खूब फायदा मिला था और इसीलिए इस बार भी सभी विपक्षी दल किसानों के साथ दिख रहे हैं। ऐसे में खट्टर सरकार इस एनएसए के मुद्दे को ज्यादा हवा देकर अपने लिए मुसीबतें नहीं खड़ा करना चाहती है। दूसरी ओर बीजेपी विरोधी कांग्रेस और आप खट्टर सरकार पर भड़क उठी हैं। बीजेपी लोकसभा चुनाव से पहले इन दलों को संजीवनी देने के मूड में नहीं है, जिसके चलते बिना सोचे किसानों पर पहले एनएसए लगा भी दिया और फिर इसे कुछ ही समय में वापस ले लिया गया।