हरियाणा में कृषि कानूनों को लेकर किसानों का गुस्सा फूट पड़ा है। स्थिति ये है कि राज्य में किसानों ने भाजपा और जजपा के विधायकों का घेराव करना शुरू कर दिया है। इस सब के बीच राज्य में बीजेपी के बड़े नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने अपनी पार्टी के लाए इस कानून के खिलाफ धरना दिया। चौधरी बीरेंद्र सिंह रोहतक के सांपला में कृषि कानूनों के विरोध में धरने पर बैठे। उन्होंने कहा कि ये सिर्फ किसानों की लड़ाई नहीं सबकी लड़ाई है। सर छोटू राम मंच ने इस धरने को आयोजित किया था। धरने पर बैठे बीरेंद्र सिंह ने कहा कि एमएसपी और एपीएमसी को लाने में मेरे दादा सर छोटूराम का अहम योगदान था। इसलिए मेरी जिम्मेदारी बन जाती है कि किसानों का साथ दूं।

एक साक्षात्कार में बीरेंद्र सिंह ने कहा, ‘पहले तो मुझे लग रहा था कि सरकार और किसानों के बीच बातचीत का नतीजा निकलेगा लेकिन छह दौर की बातचीत के बेनतीजा रहने के बाद मुझे सामने आना ही पड़ा।’ उन्होंने कहा कि किसानों का इस तरह आंदोलन करना देश के हित में नहीं है।

बीरेंद्र सिंह ने कहा कि ये कानून देश भर के किसानों के लिए है इससे बस कुछ एक किसानों का फायदा होना है बाकी को नुकसान है इसलिए किसानों का विरोध करना जायज है। उन्होंने कहा कि जो लोग किसानों पर खालिस्तानी होने का आरोप लगा रहे हैं उन्हें किसानों से माफी मांगनी चाहिए। चौधरी ने कहा कि बाहर से फंडिंग होने वाली बात बस मुद्दे को भटकाने के लिए है।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को किसानों का भरोसा जीतने की कोशिश करनी चाहिए। इन कानूनों से किसानों का सरकार के ऊपर से भरोसा कम हुआ है।

बता दें कि चौधरी बीरेंद्र सिंह इस समय बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं और उनके बेटे इस समय हिसार से बीजेपी के टिकट पर सांसद हैं। यही नहीं बीरेंद्र सिंह मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री थे। 2016 में जाट आंदोलन को शांत करने में बीरेंद्र सिंह की अहम भूमिका थी।