भारतीय सेना की अहीर रेजीमेंट गठित करने की मांग अब तेज हो गई है। प्रदर्शनकारी इसके लिए गुरुग्राम में प्रदर्शन कर रहे हैं। इस कारण गुरुग्राम-दिल्ली एक्सप्रेस-वे पर लंबा जाम लग गया है। सेना में अहीर रेजीमेंट की मांग लंबे समय से चल रही है। लेकिन मौजूदा समय में राजनीतिक समर्थन मिलने के कारण ये आंदोलन तीखा होता जा रहा है। संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा ने आज जयपुर हाईवे पर स्थित खेड़कीदौला टोल प्लाजा को मुक्त करा दिया। यहां वाहन बिना टोल दिए ही जा रहे हैं।
अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग को लेकर संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा का खेड़कीदौला टोल प्लाजा के नजदीक अनिश्चितकालीन धरना चल रहा है। मोर्चा अपनी मांग को केंद्र सरकार तक पहुंचाने में जुटा है। इसे लेकर युवाओं ने पिछले महीने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया था। इसमें कहा गया कि यदुवंशियों का इतिहास हमेशा ही शौर्य पूर्ण रहा है। उनका कहना है कि वीर सपूतों के लिए भारतीय सेना में अहीरों के लिए एक रेजिमेंट का गठन हो।
जब अहीरवाल के सैनिकों ने उड़ाए थे चीन के होश
1962 में भारत पर चीनी आक्रमण के दौरान अपनी सरहदों की रक्षा करते हुए हमारे बहुत से जवानों ने शहादत दी थी। जब चीनी सेना लेह-लद्दाख की दुर्लभ बर्फीली पहाड़ियों पर चढ़ आई थी तब भारतीय सेना की रेजांगला-कंपनी के नाम से जानी जाने वाली चार्ली कंपनी के अहीरवाल-जवानों ने डटकर मुकाबला किया था। भारतीय सैनिकों के पास खाने-पानी के अलावा गोला-बारूद की भी कमी थी। इसके बाद भी भारतीय सैनिकों की टुकड़ी ने अपने बूटों से चीनी सैनिकों को कड़ा सबक सिखाया।
सेना के शिलालेखों पर लिखा है कि, रेजागंला युद्ध के वक्त 1962 में दीवाली के दिन चीन के साथ मुकाबला करके सबसे ऊंची चोटी पर शहादत की अमर गाथा लिखी लिखी गई थी। वहीं, चुशुल (लद्दाख) की हवाई पट्टी पर बने विशाल द्वार पर भी वीर अहीर रेजांगला की गाथा लिखी है। रेजांगला की यह शौर्य गाथा भारतीय जवानों ने 18 नवंबर 1962 के दिन ही लिखी थी। जिसमें अहीरवाल के बहादुरों की टुकड़ी ने जी-जान से मुकाबला किया था। उन्होंने दिखा दिया था कि दिल में जोश हो तो बड़ी से बड़ी सेना भी उनके लिए मायने नहीं रखती है।
ध्यान रहे कि कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने सेना में अहीर रेजिमेंट’ की स्थापना के लिए संसद में मांग उठाई है। उनका कहना है कि यदुवंशी समाज की शौर्य गाथा को समझने की जरूरत है। राष्ट्ररक्षा करने में वे कभी पीछे नहीं रहे। उनके सम्मान में भारतीय सेना में एक अहीर रेजिमेंट होना ही चाहिए। उन्होंने कहा कि सेना में पहले से कई जाति आधारित रेजिमेंट हैं, ऐसे में एक और रेजिमेंट की स्थापना से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।