हरियाणा विधानसभा चुनाव में शनिवार को 17 आरक्षित सहित सभी 90 सीटों पर मतदान हो रहा है। पहले यह मतदान 1 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण के साथ होने वाला था, लेकिन चुनाव आयोग ने बिश्नोई समुदाय के अमावस्या त्योहार और गांधी जयंती के आसपास एक हफ्ते के लंबे अवकाश का हवाला देते हुए हरियाणा में मतदान स्थगित कर दिया था। ऐसे में अब प्रदेश के मतदाता अपनी चुनावी किस्मत का फैसला कर रहे हैं।

इस बार दिख रहा राजनीतिक समीकरण का बदलाव

मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ बीजेपी और कांग्रेस के बीच है, लेकिन चुनावी समीकरण में बदलाव देखने को मिल रहा है। लोकसभा चुनावों से पहले, बीजेपी ने दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के साथ अपने गठबंधन को खत्म कर दिया है। अब जेजेपी ने चंद्रशेखर आज़ाद की आज़ाद समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया है, जिससे विपक्ष की स्थिति में नई हलचल आई है। वहीं, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) ने आम चुनावों के लिए सीट-बंटवारे का समझौता किया है, लेकिन विधानसभा चुनाव के लिए अभी तक कोई एकजुटता नहीं बन पाई है।

बीजेपी लगातार तीसरी बार सत्ता में आने की उम्मीद कर रही है। उसने 2014 में पूर्ण बहुमत हासिल किया था और 2019 में जेजेपी के साथ गठबंधन सरकार बनाई थी। कांग्रेस का आखिरी कार्यकाल 2005 से 2014 के बीच रहा था। यह चुनाव उनके लिए अपनी स्थिति बेहतर करने का एक मौका हो सकता है, जबकि बीजेपी के लिए अपनी स्थिति को मजबूत बनाए रखना अहम होगा।

बीजेपी को 2014 में मिला थो मोदी लहर का फायदा

2014 में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने “मोदी लहर” का फायदा उठाकर कांग्रेस के लंबे शासन को समाप्त किया था। बीजेपी ने 33.3% वोट शेयर और 47 सीटें प्राप्त कर पूर्ण बहुमत की ओर कदम बढ़ाया था। इसके बाद मनोहर लाल खट्टर ने सीएम के रूप में शपथ ली। इस चुनाव में आईएनएलडी ने 19 सीटें और 24.2% वोट शेयर हासिल किया था, जबकि कांग्रेस 15 सीटों और 20.7% वोट शेयर के साथ तीसरे स्थान पर रही थी।

हालांकि, 2019 में विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 40 सीटों के साथ बहुमत से चूक गई, भले ही उसका वोट शेयर 36.5% तक बढ़ गया था। जेजेपी ने 10 सीटों के साथ किंगमेकर का रोल निभाया और बीजेपी के साथ गठबंधन किया। कांग्रेस ने 31 सीटें और 28.1% वोट शेयर के साथ मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा प्राप्त किया, जबकि आईएनएलडी एक सीट पर सिमट गई।

हाल के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने अपने वोटों में गिरावट देखी है। 2019 में सभी 10 सीटों पर कब्जा करने के बाद, अब वह पांच सीटों पर ही सिमट गई है। हरियाणा में 90 विधानसभा सीटों में से बीजेपी ने 44 पर सबसे अधिक वोट प्राप्त किए हैं। कांग्रेस 42 सीटों पर मजबूती से मौजूद है, जबकि आप बाकी चार सीटों पर आगे रही है। जेजेपी और आईएनएलडी किसी भी विधानसभा क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई है। ऐसे में आगामी चुनावों में सभी दलों के लिए यह एक चुनौती बन गई है।

हरियाणा में दांव पर:
कुल सीटें: 90 – 17 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित

कुल मतदाता: 2.05 करोड़ – 1.09 करोड़ पुरुष, 95.83 लाख महिलाएं और 467 ट्रांसजेंडर मतदाता

2019 में मतदान: 68.31%



हरियाणा चुनाव

कुल उम्मीदवार: 1,031

आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवार: 133 (कुल उम्मीदवारों का 13%)

AAP: 23 (पार्टी के उम्मीदवारों का 26%)

Congress: ​​17 (19%)

INLD: 9 (18%)

JJP: 7 (11%)

BJP: 6 (7%)

बरवाला, फिरोजपुर झिरका और शाहबाद सीटों पर सबसे ज्यादा चार-चार आपराधिक मामले वाले उम्मीदवार हैं।

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करोड़पति उम्मीदवार: 538 (52%)

BJP: 85 (96%)

Congress: ​​84 (94%)

AAP: 52 (59%)

JJP: 46 (70%)

INLD: 34 (67%)

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औसत संपत्ति: 8.69 करोड़ रुपये

Congress: ​​24.4 करोड़ रुपये

BJP: 24.28 करोड़ रुपये

INLD: 9.64 करोड़ रुपये

JJP: 9.36 करोड़ रुपये

AAP: 5.57 करोड़ रुपये

बीजेपी के लिए नारनौंद से चुनाव लड़ रहे कैप्टन अभिमन्यु इस चुनाव में सबसे अमीर उम्मीदवार हैं, जिनकी संपत्ति 491.48 करोड़ रुपये है।

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महिला उम्मीदवार: 100 (9.7%)

उम्मीदवारों की औसत आयु: 47.9 वर्ष

सबसे कम उम्र: 25 वर्ष की आयु के आठ उम्मीदवार, जिनमें से एक कांग्रेस से, छह निर्दलीय और एक छोटी पार्टी से है। सबसे अधिक उम्र: 80 वर्षीय रघुवीर सिंह कादियान, जो कांग्रेस के लिए बेरी से चुनाव लड़ रहे हैं; और 80 वर्षीय प्रेम चंद, जो बुलंद भारत पार्टी के लिए असंध से चुनाव लड़ रहे हैं

स्नातक या उससे अधिक आयु के उम्मीदवार: 492 (47.72%)

Source: ADR