किसान आंदोलन के समर्थन में अभय चौटाला ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने चंडीगढ़ में विधानसभा स्पीकर को अपना इस्तीफ़ा सौंपा। अभय चौटाला ने कहा कि जो किसान नेता आंदोलन की अगुवाई कर रहे थे उनके खिलाफ केंद्र सरकार ने मुकदमे दर्ज़ किए। कल दिल्ली में जो हुआ वह केंद्र सरकार की साजिश थी।
बता दें कि इंडियन नेशनल लोकदल के नेता अभय चौटाला ने दो हफ्ते पहले घोषणा की थी कि अगर गणतंत्र दिवस तक कृषि कानून वापिस नहीं लिए जाते हैं तो वे विधायक पद से इस्तीफा दे देंगे। गौरतलब है कि वे अपनी पार्टी से इकलौते विधायक हैं। वे तीन बार विधायक रह चुके हैं। इस्तीफे के पीछे वजह यह भी है कि चौटाला की पार्टी का मुख्य वोटर किसान ही है। आज वे इस्तीफा देने के लिए एक हरे ट्रैक्टर पर सवार होकर विधानसभा पहुंचे।
उत्तर भारत के कई दलों की तरह इंडियन नेशनल लोक दल पर भी दबाव है कि वह खुलकर किसानों के आंदोलन का समर्थन करें। इससे पहले स्पीकर को लिखे एक पत्र में अभय चौटाला ने केंद्र द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों की जमकर आलोचना की थी। चौटाला ने कहा था कि सरकार काले कानून लाई है। संसद में अलोकतांत्रिक तरीके से सरकार ने इन कानूनों को पारित कराया है।
चौटाला ने उस समय लिखा था कि अगर केंद्र 26 जनवरी तक कानून वापिस नहीं लेता है तो वे विधायक पद से इस्तीफा दे देंगे। चौटाला ने लिखा था कि सरकार 60 से ज्यादा किसानों की मौत के बाद भी कानूनों को वापिस लेने को राजी नहीं है। इससे पहले हरियाणा के पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला ने भी पीएम मोदी को पत्र लिखा था कि केंद्र इन कानूनों को वापिस ले।
मालूम हो कि ओम प्रकाश चौटाले के पोते दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी एनडीए में शामिल है और हरियाणा में सरकार का हिस्सा है। दुष्यंत चौटाला ने भी दावा किया था कि अगर वे किसानों को एमएसपी की गारंटी न दिला सके तो डिप्टी सीएम पद से इस्तीफा दे देंगे।