कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल को गुरूवार को राजद्रोह मामले में कोर्ट से जमानत मिलने के बाद साबरमती सेंट्रल जेल से बाहर आ गए। जेल से निकलने के कुछ समय बाद ही उन्हें दो साल पुराने मामले में अहमदाबाद से पुलिस ने फिर गिरफ्तार कर लिया। उन पर आरोप है कि 2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान एक जनसभा को बिना पुलिस परमिशन के संबोधित किया था।
बिना परमिशन सभा को किया था संबोधित: बता दें कि गुरुवार (23 जनवरी) को दोपहर में पटेल अहमदाबाद जेल से बाहर आए, तो उनके समर्थक बधाई देने के इंतजार कर रहे थे। इसी दौरान मनसा पुलिस की एक टीम मौके पर पहुंच उन्हें गिरफ्तार कर लिया। मनसा के पुलिस सब-इंस्पेक्टर एसएस पवार ने बताया कि पटेल के खिलाफ गैर कानूनी असेंबली और सरकारी कर्मचारी द्वारा दिए गए आदेश की अवहेलना करने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 143 और 188 के तहत मनसा पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था। उन्होंने पूर्व में पुलिस अनुमति के बिना ही रैली का आयोजन किया था।
पटेल भगोड़ा घोषित थे: गौरतलब है कि जब एसएस पवार से पूछा गया कि दो साल बाद उन्हें इस तरह क्यों गिरफ्तार किया गया है तो उन्होंने कहा कि, “पटेल इस मामले में भगोड़ा घोषित थे और इस तरह वह हमारी टीम के वांटेड लिस्ट में शामिल थे।” इससे पहले हमें गिरफ्तार करने का मौका नहीं मिला था।
न्याय पालिका अवाम का मुख्य आधार है: हार्दिक की पत्नी किंजल पटेल ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पोस्ट करते हुए लिखा कि, ” न्याय पालिका अवाम का मुख्य आधार है, और मैं इसका सम्मान करती हू लेकिन कभी निराशा हाथ लगती है।”