गुजरात उच्च न्यायालय ने भूमि सौदे के एक विषय में एक किसान पर महज 31 पैसे बकाया रह जाने पर उसे ‘अदेयता प्रमाणपत्र’ (नो ड्यूज सर्टिफिकेट) जारी नहीं करने को लेकर भारतीय स्टेट बैंक को फटकार लगाई है। अदालत ने कहा, ‘यह उत्पीड़न के अलावा और कुछ नहीं है।’ न्यायमूर्ति भार्गव करिया ने बुधवार को एक याचिका की सुनवाई करते हुए बैंक के प्रति नाखुशी जताई।
न्यायाधीश ने कहा, ‘हद हो गई, एक राष्ट्रीयकृत बैंक कहता है कि महज 31 पैसे बकाया रह जाने के कारण अदेयता प्रमाणपत्र नहीं जारी किया जा सकता।’ याचिकाकर्ता राकेश वर्मा और मनोज वर्मा ने अहमदाबाद शहर के पास खोर्जा गांव में किसान शामजीभाई और उनके परिवार से 2020 में एक भूखंड खरीदा था।
शामजीभाई ने एसबीआइ से लिए गए फसल ऋण को पूरा चुकाने से पहले ही याचिकाकर्ता को जमीन तीन लाख रुपए में बेच दी थी, ऐसे में भूखंड पर बैंक के शुल्क के कारण याचिकाकर्ता (भूमि के नए मालिक) राजस्व रिकार्ड में अपना नाम नहीं दर्ज करवा सकते थे।
हालांकि, किसान ने बाद में बैंक का पूरा कर्ज चुकता कर दिया, लेकिन इसके बावजूद एसबीआइ ने उक्त प्रमाणपत्र कुछ कारणवश जारी नहीं किया। इसके बाद, भूमि के नए स्वामी वर्मा ने उच्च न्यायालय का रुख किया। बुधवार को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति करिया ने बैंक का बकाया नहीं होने का प्रमाणपत्र अदालत में पेश करने के लिए कहा। इस पर एसबीआइ के वकील आनंद गोगिया ने कहा, ‘यह संभव नहीं है क्योंकि किसान पर अब भी 31 पैसे का बकाया है। यह प्रणालीगत मामला है।’
इस पर न्यायमूर्ति करिया ने कहा कि 50 पैसे से कम की राशि को नजरअंदाज कर इस मामले में उक्त प्रमाणपत्र जारी करना चाहिए क्योंकि किसान ने पहले ही पूरा कर्ज चुका दिया है। वहीं, जब गोगिया ने कहा कि प्रबंधक ने प्रमाणपत्र नहीं देने के मौखिक आदेश दिए हैं, तो न्यायाधीश ने नाखुशी व्यक्त करते हुए अधिवक्ता को निर्देश दिया कि वह प्रबंधक को अदालत में पेश होने के लिए कहे।