कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और यूपीए सरकार में कानून मंत्री रहे हंसराज भारद्वाज ने खुलासा किया है कि कांग्रेस नेतृत्व 2007 में भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते उत्तर प्रदेश की मुलायम सिंह यादव सरकार को बर्खास्त करना चाहती थी। लेकिन वह सहमत नहीं हुए। उनका खुलासा ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए भाजपा को आड़े हाथों ले रही है।
भारद्वाज ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि यूपी और 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन के मुद्दों पर असहमति जताने के चलते उन्हें कांग्रेस की मुख्यधारा से बाहर कर दिया गया। बता दें कि भारद्वाज को यूपीए 2 मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया था। इसके बजाय उन्हें कर्नाटक का राज्यपाल बना दिया गया था। भारद्वाज नेहरू-गांधी परिवार के वफादार रहे हैं। कांग्रेस द्वारा साइडलाइन किए जाने से वे नाराज हैं और अब खुद को कांग्रेसी भी नहीं मानते।
कांग्रेस के भाजपा पर धारा 356 के दुरुपयोग के आरोप के सवाल पर उन्होंने कहा कि उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस में विभाजन के चलते राष्ट्रपति शासन लगाया गया। भारद्वाज बोले,’एक बार जब मुख्यमंत्री अल्पमत में चला जाता है तो उसे बहुमत साबित करना होता है। लेकिन इसी बीच विधानसभाध्यक्ष ने विरोधी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया। इसलिए विश्वासमत में बाधा आई। अब राज्यपाल क्या करे। राज्यपाल को ऐसी परिस्थिति में रिपोर्ट देनी होगी।’ उन्होंने आरोेप लगाया कि कांग्रेस ने भी धारा 356 का दुरुपयोग किया है। उन्होंने कहा कि 23 मई 2005 को बिहार असेंबली को भंग करने का फैसला इसी तरह का था।
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कांग्रेस यूपी सरकार को भी भंग करना चाहती थी। भारद्वाज ने कहा,’भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर मुलायम सिंह यादव दबाव में थे। मैंने सरकार को सलाह दी कि केवल भ्रष्टाचार के आरोपों पर सरकार को भंग नहीं किया जा सकता। इसलिए जब तक वे बहुमत में हैं उन्हें विधानसभा में चुनौती मिलेगी। लेकिन कांग्रेस नहीं मानी। इसके चलते विवाद हो गया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह दो तरह के विचारों में उलझे हुए थे। अन्य सदस्य राष्ट्रपति शासन चाहते थे लेकिन मैं विरोध में था। मैंने सोनिया, प्रनब, शिवराज पाटिल, पी चिदम्बरम्, पीएम, कपिल सिब्बल की मौजूदगी में विरोध जताया। मैंने कहा मैं कानून मंत्री हूं, आप अन्य मंत्रियों से इस बारे में चर्चा कैसे कर सकते हैं। मेरा विचार था कि राष्ट्रपति शासन का मामला नहीं है और पीएम मान गए।’
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भारद्रवाज ने कहा,’मुझे कई कारणों से नजरअंदाज किया गया। 2जी इनमें से एक था। जब 2जी का फैसला हुआ तब मैंने विरोध किया था। मेरे पास लिखित में सबूत है। हमने फाइल पर लिखा था कि मंत्री को ऐसे नहीं करने दिया जाना चाहिए। यह पारदर्शी तरीके से किया जाना चाहिए। लेकिन उस समय मंत्री(राजा) ने जोर दिया कि वह इस तरह से काम नहीं करेंगे। यह विवादों में आ गया और राजस्व का नुकसान हुआ।