पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले में एक नई बात निकलकर सामने आई है। इसमें पता लगा है कि पठानकोट में जिस आतंकी को भारत की तरफ से 2010 में सद्भावना संदेश देने के लिए पाकिस्तान को सौंपा गया था वही पठानकोट में हुए हमले का मास्टरमाइंड है। इस आतंकी का नाम शाहिद लतीफ है। वह जैश ए-मोहम्मद का सदस्य है।
47 साल के लतीफ ने कुल 16 साल भारत की जेल में काटे थे। वह पाकिस्तान के गुजरानवाला का रहने वाला है। इस सजा में उसके साथ लश्कर ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन और जैश ए-मोहम्मद के 25 और आतंकी भी थे। इन सभी लोगों को 28 मार्च 2010 में संबंध सुधारने के नजरिए से पाकिस्तान को सौंप दिया गया था। अपनी सजा के दौरान लतीफ ने जम्मू, श्रीनगर, आगरा, वाराणसी और तिहाड़ की जेल में सजा काटी थी। इसके बाद बाघा बार्डर के रास्ते से उसे पाकिस्तान को सौंप दिया गया था।
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एनआईए के सूत्रों से इंडियन एक्सप्रेस को पता चला है कि शाहिद पाकिस्तान पहुंचने के बाद ही जैश ए-मोहम्मद के साथ जुड़ा था। इसके बाद धीरे-धीरे उसने संगठन में अपनी पकड़ मजबूत कर ली। एनआईए की तरफ से बताया गया कि कठुआ में हुए हमले के बाद से ही उनकी नजर शाहिद पर थी। इसके बाद जब पठानकोट हमले हुए तो पता चला कि उन हमलों में उसका भी उतना ही हाथ था जितना की मसूद अजहर के भाई रऊफ का।
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एक्सप्रेस को मिली जानकारी के मुताबिक, अबतक 150 आतंकियों को संबंध सुधारने के नजरिए से उनके घर भेजा गया है। इनमें वह आठ भी शामिल हैं जिन्हें अगस्त 2015 में मोदी सरकार ने छोड़ा था। इनमें से ज्यादातर लोगों पर आरोप सिद्ध नहीं हो पाते या फिर पर्याप्त सबूतों की कमी होती है। आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े 23 मामलों को अगर देखा जाए तो उनमें से सिर्फ तीन ही लोगों को 14 साल की सजा हो पाई है।