देश के कई विश्वविद्यालयों में उभरे असंतोष और सत्ता विरोधी स्वर पर उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने टिप्पणी की है। पंजाब विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि हमारे विश्वविद्यालयों की आजादी को संकीर्ण सोच के आधार पर चुनौती दी जा रही है, और कुछ लोग इस संकीर्ण सोच को देश के व्यापक हित में बता रहे हैं। हामिद अंसारी ने कहा कि विश्वविद्यालयों को सत्ता के दबाव से मुक्त क्षेत्र बनाने की जरुरत है। उन्होंने कहा, ‘विश्वविद्यालयों को दबाव  मुक्त क्षेत्र, स्वतंत्र और ज्ञान समालोचनात्मक स्रोत के रुप में पोषित करने की जरुरत है।’

उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने देश के विश्वविद्यालयों में बिगड़े माहौल पर चिंता जताई और कहा, ‘विश्वविद्यालयों की स्वतंत्रता को चुनौती मिल रही है, और ये चुनौती कुछ संकीर्ण सोच की विचारधारा से मिल रही है, आश्चर्य ये है कि इस संकीर्ण सोच को जनहित में बताया जा रहा है।’ उन्होंने कहा कि, विश्वविद्यालय उदार मूल्यों के नवीनीकरण के स्रोत रहे हैं, इन मूल्यों से सामाजिक गतिशीलता मिलती है और लोगों को समानता के अवसर मिलते हैं।

उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का ये बयान, दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में छात्र संगठन ABVP और AISA के बीच अभिव्यक्ति की आजादी की बहस के बाद आया है। इससे पहले  जेएनयू, जामिया मिल्लिया इस्लामिया और हैदराबाद विश्वविद्यालय में भी छात्रों के बीच विचारधार को लेकर विवाद की खबरें आती रही हैं। उप राष्ट्रपति चंडीगढ़ में पंजाब विश्वविद्यालय के 66वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने टॉपर छात्रों को मेडल देकर सम्मानित भी किया।

हामिद अंसारी ने अपने वक्तव्य के दौरान संविधान और लोकतंत्र की दुहाई दी और कहा कि असहमति और आंदोलन का हक हमें देश के संविधान निर्माताओं ने बहुत पहले दे दिया था, ये अधिकार हमारे मौलिक अधिकारों में शामिल है, इसका फायदा ये है कि भारत जैसे विविधता पूर्ण देश को महज संकीर्ण सोच के आधार पर परिभाषित नहीं किया जा सकता है। हमारे संविधान के प्रावधान देश को वैचारिक या धार्मिक मापदंडों के आधार पर परिभाषित करने से रोकते हैं।