H3N2 Cases Surge in India: देश में H3N2 वायरल के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। मुंबई में 4 लोगों में इस वायरल की पुष्टि हुई है। बीएमसी ने कहा कि मुंबई में 32 रोगियों को भर्ती किया गया था, जिनमें से 4 मरीजों में एच3एन2 और बाकी में एच1एन1 की पुष्टि हुई है। फिलहाल सभी मरीजों की स्थिति स्थिर बनी हुई है। इन्फ्लूएंजा (Influenza) के मामलों में बढ़ोतरी के बीच राज्य सरकार गुरुवार यानी आज मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी देवेंद्र फडणवीस की उपस्थिति में एक बैठक की जाएगी। वहीं असम में भी इस वायरल का पहला केस सामने आया है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से इसे लेकर अलर्ट भी जारी कर दिया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट की मानें तो दिल्ली, गुजरात, गोवा और पुडुचेरी में यह इंफ्लूएंजा तेजी से वायरल है।

घबराने की जरूरत नहीं है- स्वास्थ्य मंत्री

महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत ने विधानसभा में बुधवार को विधानसभा में कहा कि महाराष्ट्र में अब तक 352 मरीजों में एन्फ्लूएंजा की पुष्टि हो चुकी है। उनका अभी इलाज चल रहा है और सभी अस्पतालों को अलर्ट पर रखा गया है। उन्होंने बताया कि H3N2 खतरनाक नहीं है। इससे घबराने की जरूरत नहीं है। बता दें कि संदिग्ध H3N2 इन्फ्लुएंजा वायरस से दो लोगों की मौत नागपुर से हुई है, जबकि एक अन्य की अहमदनगर जिले से रिपोर्ट की गई है। 13 मार्च तक महाराष्ट्र में इन्फ्लूएंजा के लिए 2,56,424 मरीजों की जांच की जा चुकी है। इनमें से संदिग्ध मरीजों की संख्या 1406 बताई गई है। इनमें स्वाइन फ्लू वायरस एच1एन1 से पीड़ित मरीजों की संख्या 303 थी जबकि एच3एच2 से पीड़ित मरीजों की संख्या 58 थी। 48 मरीज अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं।

4 तरह के होते हैं इन्फ्लूएंजा

जानकारी के मुताबिक सीजनल इन्फ्लूएंजा सांसों का संक्रमण है। यह 4 अलग-अलग प्रकार का होता है। इनमें इन्फ्लुएंजा ए, बी, सी और डी ऑर्थोमेक्सोविरिडे फैमिल से हैं। इनमें इन्फ्लुएंजा ए लोगों के लिए सबसे आम है। विश्व स्तर पर बात करें तो आमतौर पर हर साल शुरुआती महीनों में इसके मामले बढ़ते हुए देखे जाते हैं। भारत में आमतौर पर मौसमी इन्फ्लूएंजा जनवरी से मार्च तक और दूसरा मानसून के बाद के मौसम में देखने को मिलता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, मौसमी इन्फ्लूएंजा के मामलों में मार्च के अंत तक कमी आने की उम्मीद है।

इनमें से ज्यादातर मामलों में खांसी और सर्दी के साथ शरीर में दर्द और बुखार आदि के लक्षण सामने आते हैं। यह आमतौर पर एक सप्ताह के भीतर ठीक हो जाता है। हालांकि नवजात, छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं, 65 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है। यह एक व्यक्ति से दूसरे में छींकने के कारण फैल सकता है। ऐसे में मास्क का उपयोग कर इससे बचा जा सकता है। इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति से हाथ मिलाने से भी दूर रहना चाहिए।