ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर शुरू हुआ विवाद बढ़ता ही जा रहा है। इसे लेकर सियासत गरमाती जा रही है। बुधवार (18 मई, 2022) को न्यूज चैनल “आज तक” की एक डिबेट में एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने मस्जिद के वजूखाने को सील करने के कोर्ट के फैसले को 1991 के एक कानून का उल्लंघन बताया है। यह कानून विवादित धार्मिक स्थलों को लेकर बनाया गया था। वहीं, औरंगजेब को लेकर एंकर के एक सवाल पर ओवैसी भड़क गए और कहा कि औरंगजेब बनाम भारत सरकार कर दीजिए। कोर्ट में जाकर औरंगजेब को पार्टी बना दीजिए।
उन्होंने कहा, “जब तक 1991 का कानून है आप उसका उल्लंघन नहीं कर सकते। 1991 में वो वजूखाना था वहां नमाजे होती थीं। मेहराब के पीछे साल में एक मरतबा पूजा की इजाजत थी और 1991 में हाईकोर्ट ने इसी मांग पर कोर्ट का स्टे दिया।”
पेट्रोल की कीमतों और नौकरियों के लिए क्या औरंगजेब जिम्मेदार है- ओवैसी
उन्होंने कहा, “जब इतनी चीजें बता रहा हूं तो आप मुझे औरंगजेब पर लेकर जा रहे हैं। पेट्रोल की कीमतों और नौकरियों के लिए क्या औरंगजेब जिम्मेदार है? कब तक मुगलों की राजनीति करेंगे, मोदी की हुकूमत है तो मुगलों को छोड़ो। पार्लियामेंट और कानून को मानो। मुगलों से इतनी फैसिनेशन क्यों हैं जाकर लड़ो उनसे। आप भारत के मुसलमानों, भारत के संविधान और भारत के सुप्रीम कोर्ट की धज्जियां क्यों उड़ा रहे हैं?”
जिस कानून का ओवैसी जिक्र कर रहे हैं, उसका नाम- उपासना स्थल कानून है। तत्कालीन पीवी नरसिम्हा राव सरकार यह कानून लेकर आई थी। इस कानून के तहत, 15 अगस्त, 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में बदला नहीं जा सकता। अयोध्या का मामला उस वक्त कोर्ट में था इसलिए उसे कानून से अलग रखा गया था।
इससे पहले ओवैसी ने भारतीय जनता पार्टी पर दंगों की तरफ ले जाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि मुसलमानों को धार्मिक पालन की अनुमति है। जिसका मतलब यह है कि हम वहां पर वजू कर सकते हैं। यह एक फव्वारा है। अगर ऐसा होता है तो ताजमहल के सभी फव्वारों को बंद कर देना चाहिए। भाजपा देश को 1990 के दशक में वापस ले जाना चाहती है, जब दंगे हुए थे।”