Radhakrishna Doddamani: लोकसभा इलेक्शन का बिगुल बज चुका है। चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान कर दिया है। बीजेपी, कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर रहे हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। कांग्रेस पार्टी ने गुलबर्गा लोकसभा सीट से खड़गे के दामाद राधाकृष्ण डोड्डामणि को टिकट दिया है।
बता दें कि जब 1999 से 2004 के बीच कर्नाटक में सोमनाहल्ली मल्लैया कृष्णा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार सत्ता में थी। उस समय सत्ता के गलियारों में केवल दो ही दामादों के नाम चर्चा में थे। एक थे कृष्णा के दामाद वीजी सिदार्थ और दूसरे थे मल्लिकार्जुन खड़गे के दामाद राधाकृष्ण डोड्डामणि। कृष्णा के दामाद वीजी सिदार्थ का साल 2019 में निधन हो गया था।
खड़गे कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। वह उस समय राज्य के कद्दावर नेता थे और गृह मंत्री थे। एसएम कृष्णा के दामाद सिदार्थ राज्य के सीएम के फैसलों पर असर डाल सकते थे। हालांकि, खड़गे के दामाद का रवैया ऐसा नहीं था। कांग्रेस ने इस बार लोकसभा इलेक्शन के लिए कर्नाटक में कम से कम पांच राज्य मंत्रियों के बेटे-बेटियों और कुछ नेताओं के जीवनसाथी और रिश्तेदारों को चुनावी अखाड़े में उतारा है। इनमें से एक राष्ट्रीय अध्यक्ष के दामाद राधाकृष्ण डोड्डामणि भी हैं।
कांग्रेस गुलबर्गा की सीट केवल तीन बार हारी
डोड्डामणि को गुलबर्गा लोकसभा सीट पर फिर से कब्जा करने का काम दिया गया है। यह कांग्रेस के गढ़ में से एक मानी जाती है। 1952 से लेकर साल 2019 तक केवल तीन बार ही कांग्रेस पार्टी इस सीट से हारी है। यह खड़गे की उनके 60 साल के राजनीतिक करियर में पहली चुनावी हार भी थी। डोड्डामणि अब तक खड़गे के राजनीतिक और आर्थिक मामलों का मैनेजमेंट करते थे।
कलबुर्गी के एक स्थानीय नेता ने कहा कि उन्हें एक मिलनसार व्यक्ति के तौर पर जाना जाता है। वह लोगों के लिए हमेशा खुले और सुलझे रहते हैं। उन्होंने आगे कहा कि वह लोगों के साथ बातचीत करने में भी अच्छे हैं। उनके पास गुरमिटकल में चुनाव और मामलों का मैनेजमेंट करने का भी अच्छा एक्सपीरियंस है। 2019 में खड़गे की हार की वजहों मे से एक दलित समुदाय के अलावा क्षेत्र के वोटर्स का धीरे-धीरे उनसे दूर होना था। खड़गे दलित समुदाय से आते हैं और डोड्डामणि को खड़गे के पीछे मजबूती से खड़े होने के लिए जाना जाता है। डोड्डामणि के सामने इलेक्शन में एक सबसे बड़ी चुनौती खड़गे परिवार और क्षेत्र के पिछड़े लोगों के बीच खाई को कम करना है।
एक स्थानीय कांग्रेस नेता ने कहा कि कांग्रेस अपनी गारंटी पर काम करने, दलित और मुस्लिम वोटों के एकीकरण पर काम कर सकती है। वहीं, स्थानीय राजनीति को भी उसे साथ लेकर चलना होगा। डोड्डामणि का मुकाबला मौजूदा सांसद उमेश जाधव से होगा। यह कांग्रेस पार्टी के पूर्व विधायक थे। इन्होंने साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मल्लिकार्जुन खड़गे के खिलाफ विद्रोह किया और बीजेपी के साथ जा मिले। जाधव ने खड़गे को मात देने के लिए क्षेत्र में पीएम मोदी के नाम पर समर्थन जुटाया और कुछ अन्य समीकरणों से अपने आप को मजबूत किया।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने चुनावी मैदान से दूर रहने का फैसला किया
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस बार लोकसभा चुनाव मैदान से दूर रहने के लिए राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में अपने कई कार्यक्रम का हवाला दिया है। उनसे राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने भी काफी आग्रह किया था। अब उनकी यह चिंता है कि इस सीट से एक और हार कांग्रेस पार्टी के लिए बहुत बड़ी बाधा बन सकती है। खासकर यह देखते हुए कि खड़गे के पास राज्यसभा सदस्य के रूप में दो साल और हैं।
खड़गे को क्षेत्र का काफी विकास करने के रूप में जाना जाता है। गुलबर्गा में हार्ट और कैंसर देखभाल के लिए सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों की स्थापना का श्रेय भी दिया जाता है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के दामाद डोड्डामणि बेंगलुरु के फेमस डॉक्टर भीमराव अंबेडकर मेडिकल कॉलेज में ट्रस्टी हैं। वह एक जाने माने बिजनेसमैन भी हैं। वह खड़गे के बेटे और कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे के साथ कुछ बिजनेस में भागीदार भी हैं।