गुजरात में बुलेट ट्रेन की राह में किसानों की खेतिहर जमीन का अड़ंगा पड़गया है। किसान हाईस्पीड रेल (Bullet Train) के लिए किसान अपनी कृषि योग्य जमीन को सस्ते में नहीं देना चाहते। ऐसी स्थित में सूरत जिला के कलेक्टर धवल पटेल ने किसानों को मनाने के लिए सरकार के समक्ष खेतिहर जमीनों की कीमत (मार्केट वैल्यू के हिसाब से बेस प्राइस) 7 गुना तक बढ़ाने का सुझाव रखा है। इस कीमत के तहत सूरत जिले के 8 गांवों को शामिल करने का लक्ष्य तय किया गया है।
गौरतलब है कि मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए सूरत जिले के 28 गांवों में ज़मीन की जरूरत है। गुजरात के खेडुत समाज के बैनर तले इन तमाम गांवों के किसानों ने विरोध किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए अपनी जमीन देने से इनकार कर दिया। इसके लिए किसानों ने कम कीमत मिलने का हवाला दिया। किसानों ने भूमि अधिग्रहण अधिकारियों को अधिग्रहण की जाने वाली कृषि भूमि को मापने की अनुमति नहीं दी, जिसके परिणामस्वरूप पिछले एक साल से गतिरोध बना हुआ था। 2011 में जंत्री दरों (सरकार द्वारा निर्धारित बाजार बाव के हिसाब से जमीन की बेस प्राइसर) आखिरी बार संशोधित किया गया था। जिसमें जमीन की कीमत अधिक से अधिक 100 रुपये प्रति स्कॉयर मीटर थी।
द इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में कलेक्टर धवल पटेल ने बताया, ” 2011 में इन गांवों की जंत्री दरें 100 रुपये या इससे कम थी। इसके लिए हमने पड़ोसी गांवों से इसकी तुलना की और पाया कि उनकी कीमत ज्यादा है। इसके बाद हमने सभी 8 गांवो की जंत्री दर 100 से बढ़ाकर 708 रुपये करने का सुझाव भेज दिया।” कलेक्टर ने बताया कि इन गांवों के 150 किसानों की जमीनों का अधिग्रहण करना है, जहां से बुलेट ट्रेन गुजरेगी।
इसके पहले ओलपाड तालुका के चार गांवों कुसाद, कमामली, कटोडदारा और मुदाद के 130 से ज्यादा किसान प्रभावित हुए हैं। इनका प्रतिनिधित्व बीजेपी विधायक मुकेश पटेल ने सरकार के सामने किया। उन्होंने ने भी कुछ महीने पहले सरकार से अनुरोध करके जंत्री दर बढ़ाने को कहा है।
विधायक मुकेश पटेल ने पाया कि मौजूदा जंत्री दर प्रभावित किसानों के लिए व्यावहारिक नहीं है। उन्होंने इस मामले में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और राजस्व मंत्री कौशिक पटेल से विशेष अनुरोध किया। इसके बाद राज्य सरकार ने सूरत के कलेक्टर को जंत्री दरों में बढ़ोतरी संबंधी रिपोर्ट तैयार करने को कहा था।
इसके बाद कलेक्टर धवल पटेल ने संबंधित भूमि से रिकॉर्ड विभाग और दूसरे विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक की और बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए अधिग्रहित की जाने वाली जमीन के लिए मुआवजे के रूप में 7 गुना कीमत बढ़ाने का प्रस्ताव भेज दिया।