PNB घोटाले से प्रभावित होने वाले व्यवसायियों और निवेशकों के नाम सामने आने लगे हैं। गुजरात के भावनगर निवासी दिग्विजय जाडेजा ने हजारों करोड़ के घोटाले के मुख्य आरोपियों में से एक मेहुल चौकसी की कंपनी के पास निवेश के तौर पर 106 किलो सोना रखा था। करोड़ों रुपये मूल्य के सोना के बदले में उन्हें महज 18 लाख रुपये ही दिए गए थे। छले गए निवेशक ने घोटाले के 11,400 करोड़ रुपये से कहीं ज्यादा 50,000 करोड़ तक के होने की बात कही है। दिग्विजय ने जब 60 करोड़ रुपये वापस मांगे तो उन्हें जान से मारने की धमकी मिली। उन्होंने वर्ष 2010 में निवेश किया था। वह खुद आभूषण का कारोबार करते हैं। उनके सात आउटलेट हैं। ‘रिपब्लिक टीवी’ से बात करते हुए गुजरात के इस व्यवसायी ने बताया कि मेहुल चौकसी अपनी कंपनी के अन्य अधिकारियों के साथ उनके पास आया था। चौकसी ने उनसे कहा था कि उनकी कंपनी में गोल्ड बार में निवेश करने पर उन्हें बाजार मूल्य पर रिटर्न दिया जाएगा। साथ ही इसी रेट पर 12 फीसद सालाना की दर से ब्याज का हर महीने भुगतान करने का भी वादा किया गया था। दिग्विजय ने बताया कि चौकसी ने उन्हें शुरुआत के तीन-चार महीनों तक ही भुगतान (तकरीबन 18 लाख रुपये) किया। बाद में लगातार टालमटोल किया जाता रहा।
दिग्विजय एक साल तक चौकसी से भुगतान करने का आग्रह करते रहे थे। इस दौरान उन्होंने मेहुल चौकसी से कई बार बात की थी। उन्होंने बताया कि मेहुल के ऑफिस में उनकी नीरव मोदी से भी मुलाकात हुई थी। दिग्विजय ने कहा, ‘मैं 2014 से मेहुल चौकसी के साथ कानूनी लड़ाई लड़ रहा हूं। मैंने जुलाई 2014 में लीगल नोटिस भेजा था। मेहुल चौकसी ने पांच स्तरों पर फर्जीवाड़ा किया है। उसने बैंक, कंपनी, शेयरधारकों और छोटे निवेशकों को भी चूना लगाया। चौकसी ने चिटफंड स्कीम की तर्ज पर लोगों के साथ धोखाधड़ी की है। कुल मिलाकर यह घोटाला तकरीबन 50,000 हजार करोड़ रुपये का होगा। हजारों लोगों को चूना लगाया गया है।’ मेहुल चौकसी ने दिग्विजय को धमकाया भी था। उन्होंने कहा, ‘मुझे जब पता चला कि मेहुल चौकसी ने मेरे साथ धोखा किया तो मैं उसके ऑफिस में गया था। मैंने जब निवेश के बदले पैसा मांगा था तो चौकसी ने धमकी दी थी कि यदि मैंने उससे या उसके कर्मचारी से गोल्ड बार मांगा तो वह मुझे झूठे मुकदमों में फंसा देगा। चौकसी ने कहा था कि वह मुझे जान से मरवा देगा और मेरे परिवार का भी नामोनिशान मिटा देगा। इसके बावजूद मैंने हार नहीं मानी थी।’ दिग्विजय ने बताया कि उनकी मेहुल चौकसी से वर्ष 2014 के अंत में आखिरी बार बात हुई थी। उन्होंने कहा कि उनका किसी पार्टी से कुछ लेनादेना नहीं है। सरकार से मेरी मांग बस इतनी है कि हमारा पैसा वापस दिलाया जाए । दिग्विजय सिंह ने कहा कि उन्होंने टैक्स दिया है और उनके जानमाल की रक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है।

