गुजरात के निकाय चुनावों में एक बड़ा अजीबोगरीब वाकया सामने आया है। लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाने वाली यह घटना सूबे की सत्तारूढ़ बीजेपी से जुड़ी है तो वाकया ज्यादा दिलचस्प हो जाता है। यहां गांधी नगर निकाय चुनावों में बीजेपी के अलग-अलग वार्डों से विजयी प्रत्याशियों ने जो चुनाव खर्च दिखाया वो हैरत में डालने वाला था। सबका खर्च एक जैसा था।

खास बात है कि 41 उम्मीदवारों ने अपने हलफनामे में एक मंडप वाले का जिक्र किया। एक ही डीजे सभी ने इस्तेमाल किया। डीके वाटर से सभी ने पानी खऱीदा। खास बात है कि ये वार्ड अलग-अलग जगहों पर स्थित रहे होंगे। लेकिन सभी 41 विजयी नेताओं ने अपने शपथ पत्र में दिखाया कि उन सभी ने एक ही चाय वाले की सेवाएं लीं। इसका नाम चामुंडा टी स्टोर है।

दिव्य भास्कर के मुताबिक सभी का चुनावी खर्च भी एक ही जैसा रहा। यानि सभी ने अइपने अपने चुनाव लड़े जरूर अलग पर उनका सभी का खर्च एक यानि 1 लाख 33 हजार 380 रहा। चुनाव अधिकारी एनके दामोर कहते हैं कि वो इसमें कुछ नहीं कर सकते। वो तभी कुछ कर सकते हैं जब उम्मीदवार ने छह लाख रुपये से ज्यादा खर्च किया हो लेकिन सभी का एक जैसा यानि 1 लाख 33 हजार 380 रहा तो ये नियम के दायरे में है।

लोकल चुनाव में कितना खर्च कर सकते हैं प्रत्याशी

गुजरात राज्य चुनाव आयोग ने स्थानीय निकाय चुनावों में उम्मीदवारों के खर्च की अधिकतम सीमा भी निर्धारित की है। राज्य चुनाव आयोग की ओर से तय की गई खर्च की अधिकतम सीमा के तहत राज्य में महानगर पालिका के चुनावों पर प्रति वार्ड का प्रत्याशी छह लाख तक ही खर्च कर सकता है।

नौ वार्ड से ज्यादा वार्ड वाली राज्य की नगर पालिकाओं में प्रत्येक वार्ड के उम्मीदवार के लिए सवा दो लाख रुपए तक और एक से नौ वार्ड रखने वाली नगर पालिकाओं के उम्मीदवार के लिए डेढ़ लाख रुपए तक की खर्च की मर्यादा तय की गई है। जिला पंचायत में उम्मीदवार चार लाख जबकि तहसील पंचायत में दो लाख रुपए तक का खर्च उम्मीदवार कर सकता है।