बर्खास्त आईपीएस संजीव भट्ट की पत्नी श्वेता भट्ट ने गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दायर कर पुलिस सुरक्षा की मांग की थी। इस याचिका पर अहमदाबाद पुलिस कमिश्नर के दफ्तर ने बीते हफ्ते अदालत के सामने अपना पक्ष रखा। उनका कहना है कि जुलाई 2018 में भट्ट समेत 64 लोगों का सिक्योरिटी कवर वापस ले लिया गया। इसकी वजह इन लोगों के खिलाफ खतरा न होना पाया गया। पुलिस ने दावा किया कि संजीव भट्ट इस मामले को ‘क्षणिक पब्लिसिटी’ के लिए उठा रहे हैं।

अहमदाबाद के अडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस (स्पेशल ब्रांच) प्रेम वीर सिंह ने अहमदाबाद पुलिस कमिश्नर की तरफ से कोर्ट में जवाब दाखिल किया। हलफनामे में कहा गया कि सुरक्षा वापस लेने का फैसला ‘मेरिट पर आधारित’ था और ‘बहुत सारे लोगों को ध्यान में रखकर’ लिया गया। पुलिस के मुताबिक, याचिकाकर्ता श्वेता के पति या उनके परिवार के मामले में कोई अपवाद नजर नहीं आया।

पुलिस के जवाब में यह भी कहा गया है कि संजीव वक्त-वक्त पर पुलिस सुरक्षा की मांग करते रहे हैं और ऐसी दरख्वास्त मीडिया में लीक की गईं जो क्षणिक पब्लिसिटी पाने की कोशिश भर है। वहीं, श्वेता भट्ट के लिए कोर्ट में उपस्थित एडवोकेट आनंद याग्निक ने कहा कि सुरक्षा समीक्षा करने के लिए रिव्यू कमेटी किसने बनाई, इस बात की कोई जानकारी नहीं है। यह भी नहीं बताया गया कि रिव्यू किस आधार पर किया गया। रिव्यू मीटिंग के मिनट उपलब्ध नहीं कराए गए और न ही कमेटी ने बताया कि वह इस निष्कर्ष पर कैसे पहुंची कि खतरा नहीं है।

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वकील ने साफ किया कि याचिका में श्वेता और उनके परिवार के लिए सुरक्षा मांगी गई है, संजीव के लिए नहीं जो इस वक्त जेल में हैं। बता दें कि भट्ट को 5 सितंबर 2018 को 1996 के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था। वहीं, 18 जुलाई 2018 को संजीव और उनके परिवार को मिला सुरक्षा कवर वापस ले लिया गया। इसके बाद भट्ट सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।

इस साल 8 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने बिना इस मामले की मेरिट पर टिप्पणी करते हुए इसका निस्तारण कर दिया और कहा कि संजीव भट्ट इस मामले में गुजरात हाई कोर्ट में जाएं। इसके बाद, मई महीने में श्वेता ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। याचिका में राज्य सरकार के खर्च पर याचिकाकर्ताओं को सुरक्षा कवर देने की मांग की गई है।

श्वेता के वकील ने मांग की कि भट्ट परिवार के लिए संभावित खतरे के लिए आकलन निष्पक्ष रूप से किया जाए। वकील ने कई मामलों का जिक्र किया, जिसमें श्वेता के घर के कुछ हिस्से को तोड़े जाने और उनके 2012 विधानसभा चुनाव में तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने के बारे में भी कहा गया है। याचिका में श्चेता ने कहा है कि उन्हें सादों कपड़ों में तैनात गुजरात पुलिस से लेकर उनका पीछा करने वाले कुछ अनजान लोगों से डर लगता है।