गुजरात में एक दलित युवक को बर्बरता से पीटने का मामला सामने आया है। घटना के दौरान एक अन्य युवक भी घायल हुआ। यह मामला रविवार (तीन नवंबर, 2019) रात अहमदाबाद के साबरमती टोल नाका इलाके का है। वहां सड़क किनारे खाने-पीने के एक ठीये पर तब कुछ युवकों ने पीड़ित के न लिर्फ कपड़े उतरवाए, बल्कि लाठी, लातों और ईंटों से उसे बुरी तरह पीटा भी। पीड़ित उस दौरान हाथ जोड़ कर रहम की भीख मांग रहा था, पर आरोपियों ने जरा भी तरस न खाया। वे उस पर चिल्लाते रहे और पीटते रहे।

घटना के दौरान कुछ लोगों ने वीडियो भी बना लिया था, जो कि अब सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर तेजी से वायरल हो रहा है। यह वीडियो साल 2016 के उस उना कांड की याद दिलाता है, जिसमें कुछ दलित लड़कों को मृत गाय की चमड़ी निकालने को लेकर कथित गोरक्षकों ने बेरहमी से पीटा था और बाद में घटना का वीडियो भी जारी किया था। बता दें कि उना कांड ने गुजरात की राजनीति को हिला कर रख दिया था।

बहरहाल, ताजा मामले से जुड़ी क्लिप में एक शख्स बिना कमीज के नजर आ रहा था। उसे कुछ लोग बुरी तरह लाठी-डंडों से पीट रहे थे। पिटाई करने वालों में एक बुजुर्ग शख्स भी था। हालांकि, पीड़ित को बाद में सिविल अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी हालत नाजुक है। वहीं, घायल हुए दूसरे युवक को कुछ मामूली चोटें आई हैं। पुलिस के मुताबिक, यह घटना शाम साढ़े सात बजे की है। प्रगनेश परमार और जयेश उस वक्त रेस्त्रां पहुंचे थे।

ताजा मामले का वीडियोः

ठीये के मालिक से इन दोनों की बहस हुई, जिसके बाद वह मारपीट में तब्दील हो गई थी। भारतीय दंड संहिता की धारा 307 (हत्या की कोशिश) के तहत FIR दर्ज हुई है। पुलिस ने इसके अलावा Prevention of Atrocities against SC व Scheduled Tribe Act के तहत महेश ठाकोर और शंकर ठाकोर को नामित किया है। पुलिस ने बताया, “हमने रेस्त्रां के मालिक महेश को पकड़ लिया है, जबकि दूसरे को भी जल्द पकड़ लिया जाएगा।”

देखें, उना कांड के दौरान क्या हुआ थाः

https://www.youtube.com/watch?v=BLgIQYbsNGU

अहमदाबाद में रहने वाले कार्यकर्ता मेतुल ने इसी बाबत बताया कि महेश टोल नाके के पास ही रहता था, लिहाजा जब उसका दलित युवकों से विवाद हुआ था, तब उसके परिजन भी झगड़ के दौरान आ गए थे। उन्होंने भी दोनों दलितों को बुरी तरह पीटा था।

मामले का संज्ञान लेते हुए वडगाम से विधायक जिग्नेश मेवाणी ने धमकी देते हुए कहा है कि अगर सभी आरोपी 24 घंटों के भीतर नहीं धरे गए, तब अहमदाबाद में दलित कार्यकर्ता बंद बुलाएंगे। बकौल मेवाणी, “हम गुजरात में भीड़ द्वारा हत्या की इस संस्कृति को और बढ़ने नहीं दे सकते हैं। पिछले छह महीने में 12-13 दलितों की हत्याएं हो चुकी हैं।”