गुजरात के सीएम विजय रूपाणी शनिवार को पांच दिवसीय उज्बेकिस्तान यात्रा पर रवाना होंगे। वह अंदीझान शहर भी जाएंगे जहां भारत में मुगल शासन की नींव रखने वाले जहीर-उद-दीन मोहम्मद बाबर का 1483 में जन्म हुआ था। सीएम रुपाणी उज्बेकिस्तान सरकार के न्योते पर एक कार्यक्रम में शरीक होने वहां जा रहे हैं। वह यहां इंटरनैशनल इन्वेस्टमेंट फोरम में हिस्सा लेंगे।
अपने पांच दिवसीय दौरे में रुपाणी उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शौकत मिर्जीयोयेव से मिलेंगे। वह अंदीझान, समरकंद और बुखारा क्षेत्र के गर्वनरों के अलावा ताशकंद शहर के मेयर से भी मुलाकात करेंगे। एक आधिकारिक प्रेस रिलीज में दी गई जानकारी के मुताबिक, रुपाणी इंटरनैशनल इन्वेस्टमेंट फोरम में हिस्सा लेने के अलावा अंदीझान में सरदार वल्लभ भाई पटेल की एक मूर्ति का अनावरण करेंगे। इस शहर में भारत के पहले गृह मंत्री पर एक सड़क का नामकरण किया गया है।
रुपाणी उज्बेकिस्तान के फ्री फार्मास्यूटिकल जोन जाएंगे। वह वहां कैडिला फार्मास्यूटिकल्स की एक यूनिट का उद्घाटन करेंगे। इसके अलावा, उज्बेकिस्तान में शारदा यूनिवर्सिटी की भी शुरुआत करेंगे। अपने दौरे में रुपाणी देश के दूसरे पीएम लाल बहादुर शास्त्री को भी श्रद्धांजलि देंगे। ताशकंद के एक आधिकारिक दौरे पर शास्त्री की 11 जनवरी 1966 को मृत्यु हो ई थी। इससे एक दिन पहले ही उन्होने ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। रुपाणी ताशकंद स्थित शास्त्री स्कूल भी जाएंगे और वहां स्टूडेंट्स से बातचीत करेंगे। वह महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर बापू पर आधारित एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन करेंगे।
बता दें कि अंदीझान उस वक्त पूरी दुनिया की नजरों में आ गया था, जब मई 2005 में यहां सैकड़ों लोगों की हत्याएं हुईं। भ्रष्टाचार को लेकर तत्कालीन बाबर चौक पर हुए प्रदर्शन के बाद ये लोग मारे गए थे। सरकार का दावा था कि प्रदर्शनों में 170 से ज्यादा लोग मारे गए। हालांकि, मानवाधिकार संगठन मानते हैं कि हताहतों की संख्या इससे कहीं ज्यादा थी। वहीं, बाबर का इस शहर से बेहद गहरा नाता है। उज्बेक इंडिया एंबेसी वेबसाइट के मुताबिक, उज्बेकिस्तान हर साल 14 फरवरी को ‘महान कवि और शिक्षक, एक प्रतिभावान सैन्य शासक और राजनीतिज्ञ’ का जन्मदिन मनाता है।
वेबसाइट पर बाबर को बेहतरीन साइंटिस्ट बताते हुए कहा गया है कि उज्बेक लोगों को इस बात पर गर्व है। बताया गया है कि कैसे बाबर 12 साल की उम्र में फरघाना का शासक बना और बाद में ‘1526 में भारत में एक केंद्रीकृत शासन की स्थापना की, जो तीन शताब्दियों तक कायम रहा।’ वेबसाइट के मुताबिक, बाबर ने सिर्फ 5 साल शासन किया, लेकिन इस समयावधि में उसने कई प्रगतिशील सुधार किए, आगरा और दिल्ली अमीर हुए, यमुना नदी के किनारे महल बनवाए गए, टैक्स में कटौती की गई, वाटर सप्लाई सिस्टम को बेहतर किया गया।