गुजरात के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने सैन्य प्रतिष्ठानों और कर्मियों के बारे में संवेदनशील जानकारियां पाकिस्तानी एजेंटों के साथ शेयर करने के आरोप में एक रिटायर सैन्यकर्मी और एक महिला को गिरफ्तार किया है।

अफसरों ने गुरुवार को बताया कि आरोपी अजय कुमार सिंह को एक पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी ने भारतीय सेना की रेजिमेंटों की गतिविधियों/आवागमन और प्रमुख सैन्य अधिकारियों के ट्रांसफर के बारे में जानकारी देने के लिए फुसलाया था। एक अन्य आरोपी रश्मणी पाल को कुछ व्यक्तियों को हनी ट्रैप में फंसाने के लिए कहा गया था।

एटीएस का कहना है कि बिहार के मूल निवासी अजय कुमार सिंह (47) को गोवा में गिरफ्तार किया गया, जहां वह 2022 में रिटायर होने के बाद एक ‘डिस्टिलरी’ में काम कर रहा था। एटीएस ने कहा कि ‘अंकिता शर्मा’ के नाम से काम करने वाली पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी सिंह के संपर्क में थी।

‘पाक जासूसों के लिए रेड कार्पेट…’

भारतीय सेना में सूबेदार था अजय कुमार सिंह

पुलिस अधीक्षक ने कहा कि अजय कुमार सिंह से ‘अंकिता शर्मा’ ने तब संपर्क किया था, जब वह 2022 में नगालैंड के दीमापुर शहर में भारतीय सेना में सूबेदार था। सिंह ने रिटायर होने के बाद गोवा में सुरक्षा गार्ड की नौकरी कर ली। उससे दोस्ती करके और उसका विश्वास जीतकर, पाकिस्तानी एजेंट ने उससे रेजिमेंटों की आवाजाही और प्रमुख सैन्य अधिकारियों के ट्रांसफर जैसी संवेदनशील जानकारी मांगी।

पाकिस्तानी जासूस के कहने पर अजय कुमार सिंह ने कथित तौर पर ‘पाठ्य सामग्री’, फोटो व वीडियो के रूप में जानकारी साझा की थी। पड़ोसी देश के जासूस ने अजय कुमार सिंह के मोबाइल फोन पर एक ‘ट्रोजन मैलवेयर’ फाइल भी भेजी थी तथा उसे इसे ‘सेव’ और ‘इंस्टाल’ करने का निर्देश दिया गया था ताकि संवेदनशील जानकारी वाट्सएप के जरिए साझा न करनी पड़े। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इस मैलवेयर की मदद से एजेंट सिंह के मोबाइल पर दूर से ही नजर रख पाता था।

पत्रकार बनकर पाक अफसरों ने ली जानकारी

प्रिया ठाकुर रखा नाम

मूल रूप से उत्तर प्रदेश की रहने वाली रश्मणी पाल (35) को केंद्र शासित प्रदेश दमन से पकड़ा गया, जहां वह ट्यूशन पढ़ाती थी। एटीएस पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ कोरुकोंडा ने बताया कि पाल ‘प्रिया ठाकुर’ के फर्जी नाम से काम करती थी और कथित तौर पर अपने पाकिस्तानी आकाओं के इशारे पर सैन्य कर्मियों से दोस्ती करके उनसे सूचनाएं हासिल करती थी।

रश्मणी पाल से पूछताछ का हवाला देते हुए पुलिस अधीक्षक ने कहा कि वह पैसे के लिए पाकिस्तानी आकाओं ‘अब्दुल सत्तार’ और ‘खालिद’ के लिए एक प्रमुख सूत्रधार के रूप में काम करने के लिए सहमत हुई थी। उन्होंने कहा कि अब्दुल सत्तार और खालिद के निर्देश पर, उसने प्रिया ठाकुर नाम से अपनी फर्जी पहचान बनाई तथा भारतीय सेना के जवानों के साथ दोस्ती बढ़ानी शुरू कर दी, जिनका विवरण सत्तार और खालिद ने गोपनीय सैन्य जानकारी निकालने के लिए साझा किया।

पैसे के लेन देन के लिए खोला था नया खाता

पाल को पाकिस्तान में बैठे लोग समय-समय पर मोबाइल नंबरों की सूची मुहैया कराते थे और वह सेना से जुड़ी संवेदनशील जानकारी हासिल करने के लिए कुछ लोगों को फंसाने की फिराक में थी। पाकिस्तानी आकाओं ने पाल को खास तौर पर कुछ सैन्य इकाइयों, उनके युद्ध अभ्यासों और गतिविधियों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने का निर्देश दिया था। पाल अब्दुल सत्तार के पाकिस्तानी नंबर पर सीधे संपर्क में थी। पैसे के लेन देन के लिए उसने एक नया खाता खोला था।

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