लोकसभा में बुधवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स (GST) से जुड़े चार बिल संसद के सामने रखे हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहे। यह चार बिल- सेंट्रल जीएसटी (सीजीएसटी), इन्टीग्रेटेड जीएसटी (आईजीएसटी), यूनियन टेरिटरीज जीएसटी (यूटीजीएसटी) तथा जीएसटी मुआवजा कानून हैं। बिल पर चर्चा की गई है। इस दौरान वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि देश में एक समान टैक्स प्रणाली होगी। जेटली ने कहा- “अधिकारों का दुरुपयोग ना हो यह ध्यान रखना होगा।”

वित्त मंत्री ने कहा कि लग्जरी सामानों पर टैक्स में से 28 फीसदी के बाद के हिस्से का इस्तेमाल राज्यों का घाटा पाटने के लिए किया जाएगा। वहीं कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा कि यूपीए सरकार जीएसटी लागू करना चाहती थी। देर होने से देश को 10 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। वीरप्पा मोइली ने केंद्र सरकार पर राज्यसभा को दुर्बल करने का आरोप लगाया और सभी सदस्यों से इस्तीफा देने की मांग की। उन्होंने कहा – “ऊपरी सदन राज्यों की परिषद है, फिर भी महत्वपूर्ण बिलों पर चर्चा करने का कोई अधिकार नहीं है। यह संघीय ढांचे पर हमला है। मैं कहता हूं कि राज्यसभा के सभी सदस्यों को इस्तीफा देना चाहिए।” वित्त मंत्री ने कहा कि आम सहमति और सिफारिशों पर आधारित एक प्रक्रिया बनाने के लिए जीएसटी की 12 बैठकें की गईं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही कह चुके हैं कि सरकार इन विधेयकों को आम सहमति से पारित कराना चाहती है। परोक्ष कर क्षेत्र की नई वस्तु और सेवाकर (जीएसटी) प्रणाली को पूरे देश में अमल में लाने की दिशा में आगे बढ़ते हुए सोमवार को वित्त मंत्री अरूण जेटली ने चार विधेयक लोकसभा में पेश किए थे। इन पर संसद की मुहर और राज्य जीएसटी विधेयक को सभी राज्यों की विधानसभाओं में मंजूरी मिलने के बाद पूरे देश में जीएसटी व्यवस्था को लागू करने की विधायी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।