राज्यसभा में गतिरोध कायम रहने के कारण सदन में जीएसटी (वस्तु एवं सेवाकर) संबंधी संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा शुरू नहीं हो सकी। सरकार के इस प्रयास को कांग्रेस ने हंगामा खड़ा कर रोक दिया, जिससे क्षुब्ध वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस प्रमुख सोनिया और उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस पिछले आम चुनाव की हार नहीं पचा पाई है।

जेटली ने कांग्रेस पर अर्थव्यवस्था और इसके विकास के रास्ते में रुकावट खड़ी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार जीएसटी का समर्थन कर रही पार्टियों की मदद से इस विधेयक को पास कराने के सभी राजनीतिक और संवैधानिक विकल्प आजमाने का प्रयास करेगी। संसद के मानसून सत्र को समाप्त होने में अब केवल दो दिन बचे हैं। कुल 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में 68 सदस्यों के साथ कांग्रेस मजबूत स्थिति में है जिससे सरकार के समक्ष समस्या आ रही है।

जीएसटी एक संविधान संशोधन विधेयक है जिस पर सरकार को दो तिहाई बहुमत हासिल करना है। राज्यसभा में भाजपा के 48 सदस्य हैं और उसे 120 सांसदों का समर्थन प्राप्त है जबकि उसे 165 सदस्यों का समर्थन चाहिए। जीएसटी को आर्थिक सुधारों के क्षेत्र में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। सरकार ने इसे एक अप्रैल 2016 से अमल में लाने का लक्ष्य रखा है। जेटली ने मंगलवार को इस विधेयक को चर्चा व पास कराने के लिए राज्यसभा में पेश किया। लेकिन इसके तुरंत बाद सदन में कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने एतराज उठाते हुए कहा कि विधेयक पर चर्चा नहीं हो सकती क्योंकि इस पर सदन की कार्यमंत्रणा सलाहकार समिति की बैठक में बातचीत नहीं हुई और इसके लिए कोई समय नहीं रखा गया है।

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जेटली जैसे ही विधेयक को पेश करने के लिए खड़े हुए, कांग्रेस के सदस्य सभापति के आसन के सामने पहुंच गए और नारेबाजी करने लगे। वित्त मंत्री ने कहा कि वास्तविक मुद्दा यह है कि वे देश की आर्थिक वृद्धि को रोकना चाहते हैं, यही के एक के बाद एक सत्र में वह कार्यवाही रोकने के लिए कोई न कोई विवाद खड़ा कर देते हैं। यही वजह है कि वह विदेश मंत्री का मुद्दा उठा रहे हैं। कांग्रेस नहीं चाहती कि अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़े। उन्हें खुलकर यह कहना चाहिए।

कांग्रेस सदस्यों के हंगामे और शोर शराबे के बीच राज्यसभा के उप-सभापति पीजे. कुरियन ने कहा कि यह संविधान संशोधन विधेयक है, मैं इस विधेयक पर इतने शोर शराबे के बीच चर्चा नहीं करा सकता। उसके बाद उन्होंने सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी।

बाद में जेटली ने संवाददाताओं से बात करते हुए विधेयक को पास कराने में कांग्रेस के अड़ंगे पर पार्टी अध्यक्ष सोनिया और उपाध्यक्ष राहुल गांधी की कड़ी आलोचना की और कहा कि जीएसटी पेश करने को लेकर एक आर्थिक आम सहमति है। लेकिन कुछ कारणों से कांग्रेस यह नहीं चाहती है।

उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में थी, उसकी नीतियां देश की अर्थव्यवस्था पर बोझ बन गई थीं। अब जब वह विपक्ष में है, उसके बाद भी वह देश की अर्थव्यवस्था के लिए बोझ बनी हुई है। पार्टी बिल्कुल अलग-थलग पड़ गई है क्योंकि करीब-करीब कोई भी राजनीतिक पार्टी उसके सदन को बाधित करने के कार्यक्रम को समर्थन नहीं कर रही है।

जेटली ने कहा कि दुर्भाग्य से कांग्रेस आत्मघाती रास्ते पर है। हम इसको लेकर कोई शिकायत नहीं कर सकते। लेकिन वह न केवल भारत की संसद को बाधित करना चाहती है बल्कि राष्ट्रीय वृद्धि के रास्ते में बाधा भी उत्पन्न करना चाहती है। बाधा उत्पन्न करने की राजनीति कांग्रेस व देश दोनों के लिए खतरनाक है।

जेटली ने कहा कि कांग्रेस ने 2006 में जीएसटी का विचार रखा था और 2011 में विधेयक पेश किया लेकिन राज्यों के बीच आम सहमति बनाने में विफल रही। एक साल से भी कम समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली राजग सरकार ने ही राज्यों के बीच आम सहमति बनाई। जीएसटी विधेयक की सभी विशेषताएं आम सहमति का परिणाम है।

जेटली ने कहा कि स्थायी समिति के साथ लोकसभा ने भी जीएसटी को पारित कर दिया। पिछले सत्र में कांग्रेस चाहती थी कि इसे राज्यसभा की प्रवर समिति के पास भेजा जाए। यह एक सहमति थी कि इसे अगले सत्र में पारित कर दिया जाएगा। यह अफसोसजनक है कि वे अपनी बातों से पीछे हट गए।

यह लोकतंत्र की हत्या है : सुमित्रा महाजन

लोकसभा में कांग्रेस और कुछ अन्य दलों के सदस्यों के आसन के सामने आकर पोस्टर दिखाने और नारेबाजी जारी रखने पर संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने इनके खिलाफ कार्रवाई करने की आसन से मांग की जिस पर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि 40 लोग मिलकर 440 से अधिक सदस्यों का हक नहीं मार सकते और ऐसा आचरण लोकतंत्र की हत्या है।

सदन की कार्यवाही में बाधा डालने के कारण पांच बैठकों से निलंबित किए गए कांग्रेस के 25 सदस्यों के सोमवार को सदन में वापस आने के बाद सोमवार से फिर हंगामा शुरू करने पर नायडू और स्पीकर ने यह टिप्पणी की। इससे पहले, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को हंगामा कर रहे सदस्यों की ओर इशारा करके नायडू से कुछ कहते देखा गया।
इसके तुरंत बाद नायडू ने स्पीकर से कहा, ‘20 लोग सदन को बंधक बनाकर नहीं रख सकते। आप इन्हें चेतावनी दीजिए, इनके खिलाफ कार्रवाई कीजिए। हर दिन तमाशा, अभ्रद भाषा का प्रयोग, स्पीकर के चेहरे के आगे प्लेकार्ड दिखाना, ये सब नहीं चलेगा।’

इस पर स्पीकर ने कहा कि 40 लोग मिलकर सदन के 440 सदस्यों का अधिकार छीन रहे हैं। यह प्रजातंत्र नहीं उसकी हत्या है। उन्होंने लोकसभा टीवी से कहा, ‘जो लोग ये हंगामा कर रहे हैं, उन्हें जरूर दिखाइए, हिंदुस्तान देखे कि ये कैसा आचरण कर रहे हैं। कैसा गैर जिम्मेदाराना आचरण है आप लोगों का, पूरा हिंदुस्तान देखे, जनता देखे, यह वास्तव में बहुत अच्छा रहेगा।’
शोरशराबे के बीच ही चल रहे शून्यकाल के दौरान अपना विषय उठाने से पहले बीजद के भृतुहरि मेहताब ने कहा, ‘आज इस सदन में फासीवाद का स्वरूप नजर आ रहा है। आपके (स्पीकर) संयम को चुनौती देने का प्रयास हो रहा है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि आपका संयम बरकरार रहे।’

भाजपा ने जारी किया विप

संसद में जीएसटी विधेयक पारित कराने के प्रयासों के बीच भाजपा ने अपने सदस्यों के लिए विप जारी कर उनसे मंगलवार और बुधवार को दोनों सदनों में मौजूद रहने को कहा।