Article 35A in Jammu and Kashmir: कश्मीर में पिछले कुछ दिनों से हो रही हलचल के बीच सरकार अनुच्छेद 35ए का तोड़ निकालने में जुटी हुई है। यह अनुच्छेद जम्मू और कश्मीर के स्थायी निवासियों को विशेष अधिकार देता है। सरकार के शीर्ष अधिकारी इस संबंध में संभावनाएं तलाश रहे हैं।
इन विकल्पों में बाहरी लोगों को विशेष मामलों में राज्य में जमीन खरीदने की अनुमति और जमीन की कैटेगरी बनाना शामिल है। सूत्रों का कहना है कि इसका दुरुपयोग रोकने के लिए अनुच्छेद 35ए के स्थान पर पहाड़ी राज्यों जैसे हिमाचल प्रदेश या उत्तराखंड का भूमि कानून पर विचार किया जा सकता है।
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सरकार के एक सूत्र ने बताया कि कई पहाड़ी राज्यों में कृषि भूमि बेचने के मामले कई समस्याएं हैं। इस लिए इसमें से बाहर रखा जा सकता है। लेकिन बिजनेस और अन्य कार्यों के लिए जमीन को बेचा जा सकता है। इसमें स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन की बात शामिल होगी।
नाम नहीं बताने की शर्त पर सरकार के एक शीर्ष सूत्र ने बताया कि इन संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया कि वे लोग घाटी में अलग-अलग वर्गों से मुलाकात की। इसमें सामान्य नागरिकों के साथ ही सुरक्षा प्रतिष्ठान के लोग भी शामिल हैं।
सू्त्रों के अनुसार, इन विचारों पर तुरंत काम नहीं किया जा सकता है लेकिन अनुच्छेद 370 को हटाए बिना अपनाया जा सकता है। भारत के विभाजन के बाद अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा हासिल हुआ था। वहीं, सूबे के निवासियों के साथ नेताओं का कहना है कि अनुच्छेद 35ए को किसी भी तरह से कमजोर करना राज्य की स्वायत्तता पर हमला होगा।
इसे घाटी की डेमोग्राफी को बदलने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। पिछले एक साल के दौरान राज्यपाल के प्रशासन के तहत अलगाववादियों के प्रति कड़ा रवैया अपनाया है। इसके अलावा कई लोगों की गिरफ्तारी हुई है। साथ ही जमीनी स्तर पर प्रशासनिक व्यवस्था को कायम रखने के लिए पंचायत चुनावों का भी आयोजन कराया गया है।