राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने सोमवार को कहा कि हरियाणा सरकार रावी-ब्यास नदी के जल में अपना वैध हिस्सा हासिल करने और सतलुज-यमुना लिंक नहर को पूरा करने को लेकर प्रतिबद्ध है। इस मुद्दे पर हरियाणा और पंजाब के बीच पांच दशक से रस्साकशी चल रही है।पंजाब विधानसभा में उनके अभिभाषण के एक हफ्ते बाद हरियाणा विधानसभा में उनके संबोधन के दौरान यह मुद्दा सामने आया। पंजाब विधानसभा में उन्होंने कहा था कि नदियों के पानी के बारे में पंजाब के अधिकारों की ‘रक्षा की जाएगी।’ परम्परा के मुताबिक राज्यपाल राज्य सरकार की तरफ से तैयार किए गए भाषण को पढ़ता है। सोलंकी पंजाब और हरियाणा दोनों के प्रभारी हैं इसलिए ऐसी विचित्र स्थिति पैदा हो गई।

पंजाब विधानसभा में अपने संबोधन में उन्होंने केंद्र से अपील की कि पड़ोसी राज्यों के बीच जल बंटवारे, पंजाबी बोले जाने वाले इलाकों और सीमावर्ती राज्य को ‘न्याय’ देने के तहत चंडीगढ़ का हस्तांतरण जैसे ‘भेदभाव’ को खत्म किया जाए। जिस समय वह हरियाणा विधानसभा को संबोधित कर रहे थे उस समय परिसर के बगल वाले हॉल में प्रकाश सिंह बादल नीत शिअद-भाजपा की सरकार ने पंजाब विधानसभा में पंजाब में एसवाइएल नहर बनाने के लिए अधिग्रहित भूमि की अधिसूचना को समाप्त कर दिया। प्रस्तावित पहल की हरियाणा ने आलोचना की है।

हरियाणा विधानसभा में बजट सत्र के पहले दिन राज्यपाल ने अपने अभिभाषण में कहा, ‘प्रेसिडेंशियल रेफरेंस पर जल्द सुनवाई के लिए सरकार की तरफ से किए गए ठोस प्रयास का फल मिलना शुरू हो गया है और जो मामला 11 वर्षों से लंबित है उसे सुप्रीम कोर्ट ने नियमित सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है।’

सोलंकी ने कहा, ‘भाखड़ा कमान से पश्चिम यमुना नहर तक रावी ब्यास नदी जल के हरियाणा के हिस्से को लाने के लिए बनी हांसी बुटाना नहर को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से स्थगन लगाए जाने के कारण क्रियान्वित नहीं किया जा सका।’