प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन आरोपों को भ्रम फैलाना बताया कि संविधान बदलने के प्रयास हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा करना आत्महत्या करने जैसा होगा। असहिष्णुता की बहस के बीच उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का एक ही धर्म है इंडिया फर्स्ट, सरकार का एक ही धर्मग्रंथ है भारत का संविधान। ‘सर्व पंथ समभाव’ को आइडिया आफ इंडिया बताते हुए उन्होंने कहा कि देश संविधान के अनुसार चला है और आगे भी संविधान के अनुसार ही चलेगा। लोकसभा में संविधान के प्रति प्रतिबद्धता पर दो दिवसीय विशेष चर्चा का शुक्रवार को जवाब देते हुए उन्होंने कहा- यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि संविधान बदलने के बारे में सोचा जा रहा है। न कभी कोई संविधान बदलने के बारे में सोच सकता है और मैं समझता हूं कि कोई ऐसा सोचेगा तब वह आत्महत्या करेगा।

संविधान की प्रस्तावना में 42वें संशोधन के साथ जोड़े गए सेकुलर शब्द पर सवाल उठाए जाने के बीच प्रधानमंत्री का यह बयान काफी महत्त्वपूर्ण है। बताते चलें कि गुरुवार को गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस चर्चा में भाग लेते हुए सेकुलर शब्द पर सवाल उठाते हुए कहा था कि इसका सबसे ज्यादा राजनीतिक दुरुपयोग हो रहा है। इस पर विपक्ष ने आरोप लगाया था कि सरकार इस शब्द या उसकी व्याख्या बदलना चाहती है। संविधान बदलने की बात को भ्रम बताते हुए मोदी ने कहा- मैं समझता हूं कि हमारा ध्यान इस बात पर होना चाहिए कि दलितों, शोषितों और पीड़ितों के भाग्य को कैसे बदला जाए।

‘सर्व पंथ समभाव’ को आइडिया आफ इंडिया बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें यह भाषा, वह भाषा, यह भूभाग, वह भूभाग की बातों से ऊपर उठकर समाज के सभी वर्गों और जन-जन को साथ लेकर राष्ट्र को मजबूत बनाना है। मोदी ने कहा कि संविधान की पवित्रता बनाए रखना हम सबका दायित्व और जिम्मेदारी है, हमें अल्पसंख्यक-अल्पसंख्यक करने की बजाए सर्वानुमति बनाने पर जोर देना चाहिए।

मोदी ने कहा कि यह ठीक है कि आखिरी चीज अल्पमत और बहुमत से बनती है लेकिन लोकतंत्र में ज्यादा ताकत तब बनती है जब हम सहमति से चलें। सहमति नहीं बनने पर अल्पमत या बहुमत की बात आती है लेकिन यह अंतिम विकल्प होना चाहिए जब सहमति बनाने के हमारे सारे प्रयास विफल हो जाएं। कोलिजियम और एनजेएसी प्रणाली पर जारी बहस के बीच प्रधानमंत्री ने कहा- आजकल की सुगबुगाहट में यह समझना चाहिए कि संविधान आधारभूत दस्तावेज है। इसमें राज्य के अंगों के अधिकारों और शक्तियों के बीच बंटवारे का विधान किया गया है।

उन्होंने बाबा साहब आंबेडकर का हवाला देते हुए कहा कि संविधान का उद्देश्य राज्यों के तीनों अंगों को सीमाओं के दायरे में रखना भी है क्योंकि अंकुश नहीं होगा तो पूर्ण निरंकुशता हो जाएगी। अगर विधायिका कानून बनाने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र हो, कार्यपालिका उसे लागू करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र हो और न्यायपालिक उसकी व्याख्या करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र हो तो अराजकता आ जाएगी। उन्होंने कहा कि जहां संवैधानिक तरीके खुले हों, वहां असंवैधानिक तरीके अराजकता की ओर ले जाते हैं, यह ध्यान रखना जरूरी है।
इससे पहले आज की कार्यवाही शुरू होने पर कांग्र्रेस सदस्यों ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की हत्याओं की परिस्थितियों को लेकर गुरुवार को सदन में केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत की टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताते हुए उन्हें माफी मांगने को कहा। इस पर गहलोत ने कहा कि अगर उनकी बातों से किसी की भावना आहत हुई है, चोट पहुंची है तब वे खेद प्रकट करते हैं।

समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव ने संविधान में बार-बार किए जा रहे संशोधनों को साजिश बताते हुए सरकार से यह स्पष्टीकरण देने की मांग की कि क्या वह आरक्षण के मामले में संविधान की समीक्षा करेगी जैसा कि आरएसएस प्रमुख ने मांग की है। उन्होंने यह संकल्प भी करने को कहा कि भविष्य में संविधान में कोई संशोधन नहीं किया जाएगा। मुलायम सिंह यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने कहा है कि आरक्षण समाप्त नहीं होगा लेकिन आरक्षण की समीक्षा या उस पर पुनर्विचार के संबंध में स्थिति स्पष्ट नहीं की है। इसलिए प्रधानमंत्री को इस बारे में स्पष्टीकरण देना चाहिए।

कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि गुरुवार को गृह मंत्री ने चर्चा की शुरुआज करते हुए धर्मनिरपेक्षता और पंथ निरपेक्षता के बीच बहस छेड़ दी है। इसकी एकमात्र वजह यह है कि इस सरकार को सेकुलरिज्म शब्द से परेशानी है। उन्होंने आरोप लगाया कि आज देश में असहिष्णुता और भय का माहौल है और विचारों की आजादी पर अंकुश का वातावरण है। सिंधिया ने कहा कि भाजपा के एक बड़े नेता ने बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान बयान दिया कि अगर इन चुनाव में उनकी पार्टी हार जाती है तब पाकिस्तान में पटाखे फोडेÞ जाएंगे। ऐसा बयान देकर पूरे एक वर्ग को ‘देशद्रोही’ करार दे दिया गया लेकिन प्रधानमंत्री खामोश बने रहे।