केंद्र सरकार ने बुधवार को बताया कि देश में हाथ से मैला ढोने वाले 66,692 लोगों की पहचान कर ली गई है। इनमें से 37,379 लोग उत्तर प्रदेश के हैं। राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले ने कहा कि पिछले पांच सालों में नालों और टैंकों की सफाई के दौरान 340 लोगों की जान गई है।
उन्होंने बताया कि जिन 340 लोगों की मौत हुई है, उनमें से 217 को पूरा मुआवजा दिया जा चुका है, जबकि 47 को आंशिक रूप से मुआवजा दिया गया है। अठावले द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक हाथ से मैला ढोने वालों की सबसे अधिक संख्या उत्तर प्रदेश में है। इस मामले में महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर है। यहां हाथ से मैला ढोने वाले 7378 लोगों की पहचान की गई है, जबकि उत्तराखंड में ऐसे 4295 लोग हैं। असम में 4295 लोगों की पहचान की गई है।
राज्य सभा में भाजपा के सुशील मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत कुल 27 लाख करोड़ रुपये मुहैया कराये। उन्होंने कहा कि यह राशि पांच छोटे बजट के समान थी। उन्होंने कहा कि यदि दस करोड़ लोगों के घरों में शौचालय नहीं बने होते तो कल्पना करिए कि इतने लोग कोरोना काल के दौरान लॉकडाउन में कहां जाते?
उन्होंने सवाल किया कि कोरोना काल में जो नि:शुल्क रसोई गैस सिलेंडर या मुफ्त अनाज आदि दिया गया, क्या वह किसी “अदाणी, बिड़ला या टाटा के घर” में गया? भाजपा सदस्य ने राजस्व एवं आयकर वसूली में कमी आने के चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल द्वारा उल्लेखित आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा कि जब पूरे देश में कोराना महामारी के कारण लॉकडाउन लगा हुआ था तो राजस्व में कमी आना स्वाभाविक ही है। उन्होंने कहा कि इसके कारण केंद्र और राज्य सरकारों के राजस्व वसूली में 23 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है।