आर्थिक समीक्षा में बजट की प्राथमिकताएं स्पष्ट थीं। तीव्र आर्थिक विकास जरूरी है, पर रोजगार सृजन, कौशल विकास, कृषि क्षेत्र की उपलब्धियां, क्षेत्रीय संतुलन, आधारभूत संरचना, विनिर्माण क्षेत्र में संभावना, निम्न मध्यवर्ग को राहत तथा समावेशी विकास भारतीय अर्थव्यवस्था को दिशा देंगे। केंद्रीय बजट में सभी के लिए पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराने के लिए कृषि क्षेत्र में उत्पादकता, रोजगार और कौशल विकास, समावेशी विकास और सामाजिक न्याय, विनिर्माण और सेवाएं, नगरीय विकास, ऊर्जा सुरक्षा, आधारभूत संरचना, नवाचार और अनुसंधान, साथ ही अगली पीढ़ी के सुधार को प्राथमिकता देने की कोशिश है। सरकार को विकसित भारत की ओर बढ़ना है, साथ ही बेरोजगारी, गरीबी, कृषि की बदहाली सहित अनेक सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों के मध्य सियासत की मजबूरियों से भी निपटना है।

कृषि क्षेत्र का उत्पादन आजीविका, रोजगार सृजन की क्षमता के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद है। बजट में कृषि में बदलाव, उत्पादकता बढ़ाने और जलवायु अनुकूल किस्मों के विकास हेतु कृषि अनुसंधान व्यवस्था की समीक्षा प्रस्तावित है। बत्तीस कृषि और बागवानी फसलों की एक सौ नौ उच्च उपज वाली जलवायु अनुकूल नई किस्में किसानों को उपलब्ध कराई जाएंगी। दलहन तथा तिलहन के उत्पादन, भंडारण, प्रसंस्करण तथा विपणन व्यवस्था में सुधार कर भारत को इस मामले में आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प है। बजट में सब्जी उत्पादन और आपूर्ति शृंखला संग्रहण, भंडारण और विपणन, सब्जी आपूर्ति शृंखलाओं के लिए सहकारी समितियों और स्टार्ट-अप को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे न केवल किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि उपभोक्ता भी लाभान्वित होंगे। अगले दो वर्षों में देश के एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती में शामिल किया जाएगा। कृषि अनुसंधान, डिजिटल सर्वेक्षण तथा सहकारिता के लिए भी प्रयास होंगे। सहकारी क्षेत्र का व्यवस्थित और सर्वांगीण विकास, दस हजार आवश्यकता आधारित जैव-इनपुट संसाधन केंद्रों की स्थापना तथा ‘नाबार्ड’ के माध्यम से वित्तपोषित झींगा पालन, प्रसंस्करण और निर्यात प्रस्तावित है। तीन वर्षों में देश के चार सौ जिलों में डिजिटल फसल सर्वेक्षण का प्रस्ताव है।

बजट में शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास हेतु 1.48 लाख करोड़ रुपए प्रस्तावित है। रोजगार को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा तथा कौशल विकास में समन्वय हेतु प्रयास किए गए हैं। प्रधानमंत्री पैकेज के तहत शिक्षा तथा रोजगार की पांच नई योजनाओं में 4.1 करोड़ युवाओं के रोजगार तथा कौशल विकास हेतु दो लाख करोड़ रुपए प्रस्तावित हैं। रोजगार प्रोत्साहन हेतु ईपीएफओ नामांकन आधारित तीन योजनाएं हैं, जो औपचारिक क्षेत्रों में पहली बार नौकरी करने वाले कर्मचारी के कार्यबल में प्रवेश पर एक माह का वेतन प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के जरिए तीन किस्तों में दिया जाएगा, इससे 2.10 करोड़ युवा लाभान्वित होंंगे। विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने के लिए पहली बार काम करने वाले कर्मचारियों को शुरुआती चार वर्षों में उनके ईपीएफओ अंशदान के अनुसार कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों को प्रोत्साहित किया जाएगा, इससे तीस लाख युवा लाभान्वित होंगे। प्रत्येक अतिरिक्त कर्मचारी के ईपीएफओ अंशदान के लिए नियोक्ताओं को दो वर्षों के लिए प्रतिमाह तीन हजार रुपए तक की प्रतिपूर्ति की जाएगी, इससे पचास लाख नौकरियां सृजित होने की उम्मीद है। अगले पांच वर्षों में एक करोड़ युवाओं के लिए पांच सौ शीर्ष कंपनियों में प्रशिक्षण के अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे।

पहली बार आर्थिक अवसरों के सृजन हेतु बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओड़ीशा और आंध्र प्रदेश के लिए ‘पूर्वोदय’ योजना प्रस्तावित है। महिलाओं और लड़कियों को लाभान्वित करने वाली योजनाओं में लगभग तीन लाख करोड़ रुपए का आबंटन प्रस्तावित है। प्रधानमंत्री ग्राम अनुसूचित जनजाति उन्नति अभियान के तहत तिरसठ हजार गांवों की लगभग पांच करोड़ जनजाति आबादी की स्थिति सुधरेगी। पूर्वोत्तर क्षेत्र में ‘इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक’ की सौ से अधिक शाखाएं स्थापित होंगी। पोलावरम सिंचाई परियोजना को पूरा किया जाएगा, विशाखापत्तनम-चेन्नई औद्योगिक गलियारे पर कोप्पार्थी नोड और हैदराबाद-बंगलुरु औद्योगिक गलियारे पर ओर्वाकल नोड में पानी, बिजली, रेल और सड़क जैसे आवश्यक आधारभूत ढांचे का विकास होगा।

राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम के तहत बारह औद्योगिक पार्क, ‘पीपीपी मोड’ में औद्योगिक श्रमिकों के लिए छात्रावास प्रकार के आवास और किराए के आवास का प्रस्ताव है। एमएसएमई के लिए ऋण गारंटी योजना प्रस्तावित है। मुद्रा ऋण की सीमा दस लाख से बढ़ाकर बीस लाख रुपए की जाएगी, जिससे युवा, स्वरोजगार को प्रेरित होगा। ‘सिडबी’ की नई शाखाएं स्थापित होने तथा विनियमाक बदलाव से एमएसएमई को बढ़ावा मिलेगा।
प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत नगरीय एक करोड़ निर्धन परिवारों के आवास हेतु दस लाख करोड़ रुपए आबंटन के साथ-साथ सौ बड़े शहरों में जल आपूर्ति, सीवेज उपचार और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाओं को बढ़ावा देकर नगरीय विकास को एक नया आयाम देने का प्रयत्न है। पीएम स्वनिधि योजना के अंतर्गत चुनिंदा शहरों में सौ साप्ताहिक ‘हाट’ या ‘स्ट्रीट फूड हब’ के विकास का प्रस्ताव है। पीएम सूर्यघर योजना के तहत एक करोड़ घरों में तीन सौ यूनिट मुफ्त बिजली मिलेगी। साठ क्लस्टरों में ऊर्जा लेखा परीक्षा की सुविधा, जो अगले चरण में सौ क्लस्टरों तक विस्तारित होगी।

आधारभूत ढांचे पर जीडीपी के 3.4 फीसद के साथ राज्यों को मुक्त ऋण दीर्घकालिक ब्याज 1.5 लाख करोड़ रुपए का प्रस्ताव है। निजी क्षेत्र को आधारभूत ढांचे के विकास में साझीदार बनाने का प्रस्ताव है। पीएम ग्राम सड़क योजना के तहत पच्चीस हजार ग्रामीण बस्तियों को जोड़ने का लक्ष्य है। सिंचाई परियोजनाओं की सहायता से बाढ़ से निपटने हेतु कोसी-मेची अंतरराज्यीय लिंक और बीस अन्य 11,500 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाली परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता; असम, सिक्किम और उत्तराखंड में बाढ़ प्रबंधन और संबंधित परियोजनाओं के लिए सहायता; हिमाचल प्रदेश में पुनर्निर्माण और पुनर्वास के लिए सहायता; विष्णुपाद मंदिर तथा महाबोधि मंदिर गलियारे का विकास; धार्मिक महत्त्व के राजगीर के लिए व्यापक विकास पहल की जाएगी। नालंदा विश्वविद्यालय के गौरवशाली स्वरूप को पुनर्जीवित कर पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। बेहतरीन पर्यटन केंद्र बनाने हेतु ओड़ीशा के प्राकृतिक सौंदर्य, मंदिरों, स्मारकों, शिल्पकला, वन्यजीव अभयारण्यों, प्राकृतिक परिदृश्यों और समुद्र तटों के विकास हेतु सहायता का प्रस्ताव है। अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के आगामी दस वर्षों में पांच गुना विस्तार के लिए एक हजार करोड़ रुपए के ‘वेंचर कैपिटल’ का प्रस्ताव है।

अगली पीढ़ी के आर्थिक सुधारों में भूमि, श्रम, पूंजी तथा तकनीक के क्षेत्र में सुधार कर विकसित भारत की राह पर आगे बढ़ने का प्रस्ताव है। एफडीआइ को सुविधाजनक बनाने और विदेशी निवेश के लिए मुद्रा के रूप में भारतीय रुपए के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। दरअसल, बजट विकसित भारत की प्रतिबद्धता तथा संकल्प को पूरा करने के लिए ‘विकास भी विरासत भी’ के मंत्र के साथ सक्षम विनिर्माण और आधारभूत संरचना, समावेशी एवं सतत विकास, कृषि एवं ग्रामीण विकास, शिक्षा, कौशल विकास तथा रोजगार के जरिए मौजूदा सियासी माहौल को एनडीए सरकार द्वारा साधने की कोशिश है। समय बताएगा कि बजट किसान, युवा, महिला तथा गरीब की बेहतरी के साथ विकसित भारत की ओर बढ़ने में कितना कामयाब हो सकेगा।

दरअसल, बजट विकसित भारत की प्रतिबद्धता तथा संकल्प को पूरा करने के लिए ‘विकास भी विरासत भी’ के मंत्र के साथ सक्षम विनिर्माण और आधारभूत संरचना, समावेशी एवं सतत विकास, कृषि एवं ग्रामीण विकास, शिक्षा, कौशल विकास तथा रोजगार के जरिए मौजूदा सियासी माहौल को एनडीए सरकार द्वारा साधने की कोशिश है। समय बताएगा कि बजट किसान, युवा, महिला तथा गरीब की बेहतरी के साथ विकसित भारत की ओर बढ़ने में कितना कामयाब हो सकेगा।