सरकार ने निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष प्राधिकरण (आईईपीएफए) के तहत दावा निपटान प्रक्रिया को आसान बना दिया है। अब कंपनियों के पास पड़ी निवेशकों की राशि को वापस लौटाने की प्रक्रिया में ज्यादा मुश्किलों का सामना नहीं करना होगा। सरकार के इस फैसले से करोड़ों निवेशकों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। इस प्रक्रिया के तहत अब नोटरी की वर्तमान जरुरत की जगह दस्तावेजों की स्व- सत्यापन की अनुमति दी है। वित्त मंत्रालय ने यह निर्देश शेयर, लाभांश और अन्य तरह के निवेशकों को राहत देने के लिए जारी किया है।
क्या होता है बिना दावा की राशि
कंपनी नियम के अनुसार जानकारी दी गई है कि, वह राशि जिसका सात साल तक कोई दावा नहीं करता है, उसे शिक्षा और संरक्षण कोष प्राधिकरण (आईईपीएफए) को हस्तांतरित कर दी जाती है। इसमें शेयर, निवेशों की राशि, लाभांश व अन्य तरह की राशि शामिल हैं। इसे वापस लेने के लिए पहले नोटरी प्रक्रिया से गुजरना होता है, लेकिन अब इस फैसले से यह प्रक्रिया आसान बन गई है।
क्या होगा लाभ
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के फैसले से अब तेज गति से दावे वाली राशि का निपटारा होगा। जिसका लाभ निवेशकों और उत्तराधिकार को सीधी तौर पर मिलेगा। इस राशि के निपटने से निवेशक भी बढ़ेंगे। बता दें कि 1.29 करोड़ शेयरधारकों के दावों का निपटरा वर्तमान समय तक किया जा चुका है।
‘केवल ब्याज चुकाने से अच्छे ग्राहक नहीं’
एक अन्य फैसले में रिजर्ब बैंक ने कर्ज को लेकर बैंकों को सख्ती दिखाने को कहा है। आरबीआई का कहना है कि सिर्फ कर्ज का ब्याज चुकाने से ही अच्छा ग्राहक नहीं माना जा सकता है। आरबीआई ने बैंको के बढ़ते एनपीए को लेकर यह बात कही है। ध्यान देने वाली बात है कि कुछ बैंक ग्राहकों की परेशानी देख कुछ समय तक ईएमआई की जगह केवल ब्याज चुकाने की अनुमति देते हैं।