केंद्र सरकार की ओर से अगले 1.5 सालों में अलग-अलग विभागों और मंत्रालयों में 10 लाख सरकारी जॉब देने का ऐलान किया गया है। आने वाले 18 महीनों में इन पदों पर भर्ती के लिए सरकार को करीब 4,500 करोड़ रुपए के बजट की आवश्यकता होगी। बता दें, पिछले 2 सालों में कोरोना और अन्य कारणों से सरकारी पदों में भर्तियां की प्रक्रियां काफी धीमी रही है या फिर भर्तियां नहीं हुई है।

सरकारी सूत्रों का इस मामले पर कहना है कि इन 10 लाख पदों में से 90 फीसदी जॉब ग्रुप सी की है, जिसमें क्लर्क, चपरासी और सेमी- स्किल्ड कर्मचारी शामिल किए जाते हैं। एक नए ग्रुप सी कर्मचारी के लिए सरकार की लागत लगभग 40,000 रुपये प्रति माह है।

सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि 18 महीने की छोटी अवधि में भर्ती करना इतना आसान नहीं है। बड़ी चुनौती भर्ती के बाद सभी का प्रशिक्षण और बाद में इन्हें  पदोन्नति देना होगी। एक सूत्र का कहना है कि एक साथ इतनी बड़ी भर्ती का मतलब यह होगा कि सभी लोग एक पदोन्नति के पात्र होंगे।

सरकार आकंड़ों के मुताबिक, मार्च 2020 तक सरकार के पास 8.72 लाख सरकारी पद खाली पड़े हुए थे, इनमें से 90 फीसदी जॉब डाक, रक्षा, गृह मंत्रालय, रेलवे और राजस्व विभाग में हैं।

पिछले साल राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया था कि मार्च 2020 तक केंद्र सरकार के बाद खाली पड़े पदों की संख्या 8.72 लाख थी। वहीं, संभवत अब इनकी संख्या बढ़कर 10 लाख से करीब हो गई होगी, जिस पर मोदी सरकार अब भर्ती करने जा रही है। स्वीकृत पदों की संख्या के बारे में बताते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया था कि केंद्र सरकार के कुल 40.04 लाख पद हैं और मार्च 2020 तक इन पदों में से 31.32 लाख पदों पर कर्मचारी कार्य कर रहे थे जबकि बाकी के पद रिक्त थे।

केंद्र सरकार के 77 मंत्रालयों/विभागों में सबसे अधिक रिक्त पद 2.47 लाख रक्षा (सिविल) में हैं, इसके बाद रेलवे (2.37 लाख), गृह मंत्रालय (1.28 लाख), डाक (90,050) और राजस्व (76,327) हैं।